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08 August 2022

फिल्म परदेस ने पूरे किए 25 साल, सुभाष घई ने सुनाई किरदारों की कहानी

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हिन्दी सिनेमा के सफल फिल्म निर्देशक सुभाष घई की फिल्म "परदेस" को रिलीज हुए आज 25 साल हो गए हैं। 8 अगस्त 1997 को रिलीज हुई परदेस एक बेहद लोकप्रिय और सफल फिल्म साबित हुई थी। फिल्म ने सफलता के नए आयाम स्थापित किए थे। 

 

 

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सुभाष घई को मिली नई ऊंचाई

 

 

साल 1995 में निर्देशक सुभाष घई के बैनर मुक्ता आर्ट्स द्वारा त्रिमूर्ति का निर्माण किया गया। त्रिमूर्ति में सुभाष घई निर्माता थे। फिल्म का निर्देशन मुकुल आनंद के जिम्मे था। फिल्म में अनिल कपूर, शाहरूख खान और जैकी श्रॉफ जैसे बड़े नाम थे। फिल्म को रिलीज के पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कामयाबी भी मिली। लेकिन आने वाले दिनों में फिल्म का कारोबार और प्रतिक्रियाएं सकारात्मक नहीं आईं। इस कारण फिल्म से वो रिस्पॉन्स नहीं मिला, जो सुभाष घई चाहते थे। फिल्मी गलियारों में आदत अनुसार गॉसिप चल गई कि सुभाष घई का करियर खत्म हो गया है। लेकिन सुभाष घई ने हार नहीं मानी। उन्होंने स्वयं निर्देशन का काम संभाला और अपनी नई फिल्म की शुरूआत की। फिल्म का नाम था " परदेस"। 

 

 

 

बहुत सोच समझकर किया किरदारों का चयन

 

सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइट कू एप को दिए साक्षात्कार में सुभाष घई बताते हैं " लेखक और निर्देशक होने के नाते मेरा पहला ध्यान कैरेक्टराइज़ेशन पर होता है। कहानी और स्क्रीनप्ले लिखना कठिन काम है। और उससे भी कठिन है किरदारों को कलर देना। उनमें विविधता और विशेषता रखना। मैं कभी स्टार देखकर कहानी नहीं लिखता। मैं कहानी लिखने के बाद स्टार चुनता हूं। मैं देखता हूं कि स्टार और न्यू कमर में, कौन किरदार से न्याय कर सकेगा"। 

सुभाष घई बताते हैं " जब अर्जुन के किरदार के लिए मैंने शाहरुख को बुलाया, तो मैंने उनसे एक ही बात कही, कि तुम्हें इस फिल्म में शाहरुख बनकर नहीं उतरना है। तुम्हें अपनी अन्य फिल्मों की तरह परदेस में प्रेम जाहिर नहीं करना है बल्कि उसे अंत तक अपने भीतर छिपाकर रखना है। यही जरूरत है फिल्म की। शाहरूख के लिए यह चुनौती थी, जिसका शाहरूख ने बहुत अच्छे से सामना किया। उन्हें किरदार के अनुसार ढलने के लिए जीन्स के बजाए ट्राउज़र्स पहनने की सलाह मैंने दी, जो कहीं न कहीं फिल्म में जादू कर गई"। सुभाष घई बताते हैं " कहानी में गंगा की जिस भूमिका को महिमा चौधरी ने निभाया है, उसके लिए मैं माधुरी दीक्षित को लेना चाहता था। माधुरी ने स्क्रिप्ट सुनी थी और उन्हें कहानी पसन्द आई थी। लेकिन तब तक माधुरी दीक्षित स्टारडम हासिल कर चुकी थीं, जबकि गंगा का किरदार एक छोटे गाँव की लड़की का था, जो अपने अपनी मासूमियत में, हवाई जहाज को देख विदेश जाने के सपने बुनने लगती थी। ऐसे में यह जरूरी था कि गंगा का किरदार कोई नई और सरल अभिनेत्री को साइन किया जाए। जब मैंने महिमा चौधरी का इंटरव्यू लिया, तब किसी विशेष बात पर वो जोरों से हंसी थीं। इसके अलावा जो प्यार मुझे इस किरदार में चाहिए था, वह उनकी आँखों में छलकता था। इसके अलावा उनकी हाइट छोटी थी। इन तीन बातों से मुझे महसूस हो गया था कि मेरी फिल्म में गंगा के लिए महिमा चौधरी ही बेस्ट हैं। और देखिए महिमा ने मेहनत की और इसके लिए उन्हें फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला।   

 

 

सुभाष घई का कू एप को दिए साक्षात्कार का लिंक : https://www.kooapp.com/koo/subhashghai/aeb17fd6-49a0-41e6-83b5-1b768d90ffea

 

 

 

संगीत में आया फ्लेवर 

 

 

सुभाष घई की फिल्मों का संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के जिम्मे होता था। सुभाष घई ने जब परदेस बनाने की सोची तो फिल्म के संगीत में भी नए और अभिनव प्रयोग किए। सुभाष घई यूं भी अपनी फिल्मों में संगीत को बहुत महत्व देते थे। फिल्म ताल, विधाता, कर्मा, किसना का दिल छूने वाला संगीत ही फिल्म की जान है। सुभाष घई ने परदेस के लिए पहले ए आर रहमान को लेना चाहा। लेकिन व्यस्तता के कारण रहमान फिल्म का हिस्सा नहीं बन सके। तब सुभाष घई ने नदीम- श्रवण को साइन किया। नदीम - श्रवण उस दौर में चोटी के संगीतकार थे। आशिकी, साजन, दीवाना से पूरी इंडस्ट्री में धूम मचा दी थी नदीम श्रवण ने। सुभाष घई ने जब नदीम श्रवण को मौका दिया तो उन्होंने भी बेहतरीन प्रदर्शन कर के सुभाष घई के फैसले को सही साबित किया। फिल्म का गीत संगीत सुपरहिट साबित हुआ। गीत सुभाष घई के पसंदीदा गीतकार आनंद बख्शी ने लिखे थे। गीतों को आवाज देने के लिए गायक कुमार सानू,सोनू निगम,हरिहरन और गायिका अलका याग्निक,कविता कृष्णमूर्ति को साइन किया गया।

 

 

कुमार सानू ने गीत गाकर जीता सुभाष घई का दिल 

 

जब गीत "दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके" रिकॉर्ड करने की बात आई तो संगीतकार नदीम - श्रवण काफी नर्वस थे। इसकी वजह ये थी कि दोनों पहली बार सुभाष घई के साथ काम कर रहे थे और सुभाष घई के बारे में यह मशहूर था कि वो अपनी फ़िल्मों में गानों के कई रिटेक्स लेते हैं। नदीम - श्रवण ने यह बात जब कुमार सानू को बताई तो उन्होंने दोनों से निश्चिन्त रहने को कहा। कुमार सानू रिकॉर्डिंग रूम में गये और सिर्फ़ 20 मिनट में गाना गाकर बाहर निकल आए। एक इंटरव्यू में कुमार सानू बताते हैं कि जब वह गाना गाकर रिकॉर्डिंग रूम से बाहर निकले तो सुभाष घई ने उन्हें गले से लगा लिया।सुभाष घई ने कुमार सानू से कहा कि उन्हें इस गीत में जो चाहिए था, वो उन्होंने एक बार में ही परफेक्ट दे दिया है।

 

 

 

सोनू निगम को मिली पहचान

 

सोनू निगम ने अपनी शुरूआत मोहम्मद रफी के गाने गाकर की थी। सोनू निगम और उनके पिता अगम कुमार निगम दिल्ली में रफी साहब के गाने गाकर स्टेज शो करते थे। फिल्म जगत में जब स्ट्रगल करने सोनू निगम आए तो उनका अंदाज मोहम्मद रफी के अंदाज जैसा था। जब सोनू निगम ने परदेस के लिए "ये दिल दीवाना" गाया तो रातों रात सोनू निगम की एक नई छवि स्थापित हुई। वह मोहम्मद रफी के अंदाज से बाहर निकले और उन्होंने अपनी पहचान बनाई। 

 

 

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TAGS: Pardes, Subhash Ghai, Shahrukh Khan Film, Mahima Chaudhary Film, Kumar Sanu, Nadeem Shravan best music, Do dil mil rhe hain, ye dil Deewana, Bollywood, Hindi cinema, Entertainment Hindi news
OUTLOOK 08 August, 2022
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