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19 May 2025

अमिताभ बच्चन : हिंदी सिनेमा के सबसे प्रभावशाली नायक

हरिवंश राय बच्चन के सुपुत्र

अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अगस्त सन 1942 को हिंदी के महान कवि हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के घर हुआ। घर के साहित्यिक एवं कलात्मक माहौल का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। संस्कार, संस्कृति, भाषा का पहला परिचय घर में ही हुआ। स्कूली शिक्षा ग्रहण करने के लिए नैनीताल की वादियों में पहुंचे। आगे की पढ़ाई दिल्ली में पढ़ाई पूरी की। एक किस्सा मशहूर है कि एक दफा अमिताभ बच्चन ने बंदूक खरीदने की जिद की। पिता के पूछने पर बताया कि वह चिड़ियां पालने के लिए बंदूक रखना चाहते हैं। जब पिता ने आजादी और अहिंसा का महत्व समझाया तो अमिताभ बच्चन के मन में यह बात गहरी बैठ गई। उन्होंने फिर पक्षियों को कैद करने की जिद नहीं की।

 

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ऑल इण्डिया रेडियो में मिली असफलता 

अमिताभ बच्चन ने दिल्ली में ऑल इंडिया रेडियो में समाचार वाचक की नौकरी के लिए आवेदन किया मगर असफल रहे। उनकी आवाज को समाचार वाचन के लिए अयोग्य माना गया। इस बात से अमिताभ बच्चन निराश नहीं हुए। उन्हें तो आगे बढ़ना था। उन्होंने कलकत्ता में एक नौकरी शुरु की मगर मन अभिनय के लिए लालायित रहा। कलकत्ता से मुंबई पहुंचे और साल भर के संघर्ष के बाद ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म "सात हिन्दुस्तानी"में काम मिला। इसके अलावा "बॉम्बे टू गोवा" और "आनंद" में सहयोगी भूमिकाएं निभाईं। मगर अभी वो बड़ा काम अमिताभ बच्चन से दूर था, जो उन्हें महानायक बनाने वाला था।

 

ज़ंजीर से चमकी किस्मत

अमिताभ बच्चन के फिल्मी जीवन में यदि चार लोगों का बड़ा योगदान रहा तो वह थे महमूद, जावेद अख्तर, यश चोपड़ा, प्रकाश मेहरा। जब अमिताभ बच्चन को कहीं उम्मीद नजर नहीं आ रही थी, तब महमूद ने उन्हें अपनी फिल्म बॉम्बे टू गोवा में काम दिया। फिल्म सफल रही और अमिताभ बच्चन का काम पसंद किया गया। जावेद अख्तर ने अमिताभ बच्चन का अभिनय बॉम्बे टू गोवा में देखा तो बहुत प्रभावित हुए। उन्हीं दिनों जावेद अख्तर और सलीम खान की स्क्रिप्ट पर प्रकाश मेहरा फिल्म बना रहे थे। फिल्म के मुख्य किरदार के लिए उन्होंने राज कुमार, देव आनंद, शम्मी कपूर से संपर्क किया लेकिन बात नहीं बनी। तब जावेद अख्तर ने प्रकाश मेहरा को अमिताभ बच्चन का नाम सुझाया। अमिताभ बच्चन 30 वर्ष की आयु तक 12 फ्लॉप फिल्मों के साथ फ्लॉप एक्टर का खिताब लेकर घूम रहे थे। जावेद अख्तर की सलाह पर जब प्रकाश मेहरा ने महमूद की फिल्म बॉम्बे टू गोवा देखी तो बिना देर किए अपनी फिल्म में अमिताभ बच्चन को कास्ट कर लिया। इस तरह अमिताभ बच्चन "ज़ंजीर" का हिस्सा बने एंड रेस्ट इज हिस्ट्री। 

 

प्रकाश मेहरा और मनमोहन देसाई के साथ रचा इतिहास 

अमिताभ बच्चन ने शोले, कालिया, दोस्ताना, याराना, दीवार, शक्ति, त्रिशूल, कभी कभी, नमक हराम, सत्ते पे सत्ता,मिली, चुपके चुपके, सिलसिला जैसी कई कामयाब फिल्में की। मगर जो लोकप्रियता उन्हें प्रकाश मेहरा और मनमोहन देसाई की फिल्मों ने दिलाई, उसका कोई सानी नहीं है। प्रकाश मेहरा के साथ मुकद्दर का सिकंदर, लावारिश, हेरा फेरी, नमक हलाल, शराबी जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाईं। प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन पर तब भरोसा किया, जब दुनिया अमिताभ बच्चन को चूका हुआ मान चुकी थी। मनमोहन देसाई अमिताभ बच्चन को अच्छा अभिनेता नहीं मानते थे। लेकिन जब अमिताभ बच्चन सफलता के शिखर पर पहुंचने लगे तो उन्हें भी अपना निर्णय बदलना पड़ा। अमर अकबर एंथनी, परवरिश, मर्द, कुली, सुहाग, नसीब, गंगा जुमना सरस्वती जैसी फिल्मों से मनमोहन देसाई और अमिताभ बच्चन ने सिनेमा की सिल्वर स्क्रीन पर जादू रचा। 

 

साथी कलाकारों से रहे मिले जुले संबंध 

अमिताभ बच्चन के फिल्मी करियर में उतार चढाव रहे। इसी तरह उनके रिश्तों में भी कई मोड़ आए। उनके कैरियर में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले महमूद और कादर खान ने जीवन के अंतिम समय में जो बयान दिए, वह सुखद नहीं थे। उन्होंने अमिताभ बच्चन को अहंकारी और एहसान फरामोश बताया। इसी तरह डैनी डेन्जोंगपा ने अमिताभ बच्चन के साथ 18 साल इसलिए काम नहीं किया क्योंकि उन्हें लगता था कि अमिताभ की शख्सियत उन पर हावी हो जाएगी। अमिताभ बच्चन के साथ कई सुपरहिट फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री परवीन बाबी अक्सर अमिताभ बच्चन के लुक्स को लेकर मजाक उड़ाया करती थीं। उन्हें अमिताभ बच्चन से फोबिया भी रहा था। नसीरुद्दीन शाह कई बार कह चुके हैं कि हिंदी सिनेमा को आगे ले जाने में अमिताभ बच्चन का योगदान शून्य रहा है। कुछ ऐसे ही तजुर्बे समाजवादी नेता अमर सिंह के भी रहे, जिनके अनुसार जीवन भर सहयोग देने के बाद, जरूरत के समय अमिताभ बच्चन ने उनसे मुंह फेर लिया। इन सब आरोप प्रत्यारोप के बीच यही कहा जा सकता है कि मगर दोषमुक्त कौन ही रहा है इस मायालोक में। 

 

 

 

असफल रहा राजनीतिक कैरियर 

अमिताभ बच्चन की दोस्ती राजीव गांधी से थी। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अमिताभ बच्चन राजीव गांधी के साथ नजर आए। उन्होंने राजीव गांधी को हिम्मत दी। राजीव गांधी के कहने पर अमिताभ बच्चन ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता भी। मगर उनके अनुभव अच्छे नहीं रहे। बोफोर्स तोप सौदे में जब घोटाले की बात निकली तो उसके तार अमिताभ बच्चन से भी जुड़ते दिखाई दिए। अमिताभ बच्चन को राजनीति छोड़नी पड़ी। 1984 सिख दंगों के समय भी अमिताभ बच्चन की भूमिका संदिग्ध रही और सिख समुदाय उन्हें अपना दोषी मानता रहा है। 

 

रेखा के अमिताभ

अमिताभ बच्चन और रेखा ने फिल्म दो अनजाने में एक साथ काम किया। इसके बाद दोनों ने मुकद्दर का सिकंदर, सिलसिला, सुहाग, मिस्टर नटवरलाल जैसी कामायाब फिल्मों में काम किया। रेखा पहली नजर में अमिताभ की दीवानी हो गईं। दोनों के संबंधों को लेकर कई अटकलें लगाई गईं। मगर अमिताभ ने पत्नी जया बच्चन का साथ निभाया और फिल्म सिलसिला के बाद कभी रेखा के साथ नजर नहीं आए। अलबत्ता रेखा, अमिताभ से इकतरफा प्रेम करती रहीं। 

 

दिवालिया हुए अमिताभ

नब्बे के दशक में अमिताभ बच्चन ने बहुत बुरा समय देखा। उनकी कंपनी अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड बुरी तरह असफल रही। कम्पनी ने जो इवेंट आयोजित किए, उनमें भारी नुकसान हुआ।अनुभवहीनता और गलत निर्णयों के कारण कंपनी चौपट हो गई और अमिताभ बच्चन दिवालिया हो गए। इस समय समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह, यश चोपड़ा, धीरूभाई अंबानी ने हिम्मत और हौसला दिया। अमिताभ बच्चन ने यश चोपड़ा से मदद मांगी तो उन्हें मोहब्बतें में काम मिला और उनके कैरियर को सहारा मिला। "बड़े मियां छोटे मियां", "सूर्यवंशम" जैसी फिल्मों ने भी अमिताभ बच्चन के डूबते हुए कैरियर को संभाला। कौन बनेगा करोड़पति से अमिताभ बच्चन एक बार फिर भारतीय जनमानस तक पहुंचे।

 

उम्र के अस्सीवें वर्ष में भी बेहद सक्रिय

आज भी अमिताभ बच्चन हिन्दी सिनेमा के सबसे सक्रिय अभिनेता हैं। "पिंक", "पीकू", "पा", "गुलाबो सिताबो","102 नॉट आउट", "बदला" जैसी फिल्मों में अमिताभ बच्चन ने अहम भूमिका निभाई है। इसी महीने "ब्रह्मास्त्र" और "गुड बाय" जैसी फिल्मों में अमिताभ बच्चन ने अपना जलवा दिखाया है। अमिताभ बच्चन को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। अमिताभ बच्चन सभी को प्रभावित करते हैं। हालांकि पान मसाला विज्ञापन के कारण उनकी खूब आलोचना भी होती है। मगर यही तो भारतीय परंपरा रही है कि यहां कोई भी आलोचना से परे नहीं है। भगवान भी नहीं। 

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OUTLOOK 19 May, 2025
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