Advertisement
04 March 2015

बलात्कार पर बनी डॉक्यूमेंट्री पर विवाद जारी

गूगल

फिल्म पर उठे ताजा विवाद में जहां एक ओर समाज के एक वर्ग का कहना है कि फिल्म में निर्भया बलात्कार के आरोपी को बोलने के लिए मंच क्यों दिया गया है, उसे क्यों दिखाया गया, वहीं एक वर्ग तर्क दे रहा है कि यह अभिव्यक्ति की आजादी है। आरोपी को भी अपनी बात कहने का हक है। इस मुद्दे पर बुधवार को संसद में भी हंगामा हुआ और सरकार की ओर से गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सफाई दी।

इसे कला की आजादी से जोड़कर भी देखा जा सकता है। हर माध्यम का समाज के सामने चीजें रखने का अपना एक तरीका है। लेसली की फिल्म के बहाने कम से कम यह तो सामने आया कि बलात्कार के बारे में भारतीय पुरुष कैसा सोचते हैं। यहां तक कि जघन्य अपराध को अंजाम देने के बाद सलाखों के पीछे भी उनकी मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया। उन्हें अपने किए पर कोई पश्चाताप नहीं।     

इंडियाज डॉटर फिल्म ने पुरुष मानसिकता को तार-तार करके रख दिया है। द गार्डियन में छपी खबर के अनुसार भारत में औरतों से बलात्कार करने वाले पुरुषों के रवैये ने लेसली को झिंझोड़ दिया। उन्हें तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से भी अपराधी का इंटरव्यू करने के सिलसिले में नोटिस जारी किया गया है।

Advertisement

फिल्म के बारे में विस्तृत समाचार के लिए निम्नलिखित लिंक को अपने एड्रेस बार में कॉपी पेस्ट करें। 

http://www.theguardian.com/film/2015/mar/01/indias-daughter-documentary-rape-delhi-women-indian-men-attitudes?CMP=fb_gu

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: बीबीसी, इस्राइल, डॉक्यूमेंट्री, इंडियाज डॉटर, फिल्ममेकर, लेसली उडविन
OUTLOOK 04 March, 2015
Advertisement