फिल्मकार को तिहाड़ का नोटिस
औरतों की आजादी को लेकर हमारा समाज आज भी अपाहिज मानसिकता का है। गांव-देहात तो दूर हम शहरों की बात करें तो लोग स्वस्थ मानसकिता के नहीं हैं। सुंदर कपड़े पहनने वालीं, फैशनपरस्त, अकेली रहने वाली, फिल्में देखने वालीं, पुरुष दोस्त के साथ घूमने वाली, देर रात घर लौटने वालीं , हर दिन रेस्तरां में खाने वालीं, जोर-जोर से बोलने वाली, सड़कों पर ठहाके लगाने वालीं औरतें समाज को अखरती हैं। ये महिलाएं अच्छी औरतों की श्रेणी में नहीं आती हैं। इनमें से अगर कोई बलात्कार की शिकार हो जाती है तो कहा जाता है ‘ इसके तो लक्षण ही ऐसे थे। ’
आए दिन देश में बलात्कार की घटनाएं होती हैं। तर्क दिया जाता है कि ‘अकेले देर रात तक घूमेगी तो बलात्कार ही होगा।’ या कहा जाता है ‘अरे देखा नहीं कि वह सड़कों पर कैसे जोर-जोर से हंसती थी?’ हाल में उबेर टैक्सी ड्राइवर द्वारा कार में एक लड़की से बलात्कार वाले मामले में मेरे जानकार पुरुषों ने कहा कि ‘देर रात को इतनी शराब पिएगी तो ऐसा ही होना था।’ देर रात को घर आने या शराब पीने से किसी पुरुष को लड़की से बलात्कार का अधिकार तो नहीं मिल जाता ?
तर्क अगर लड़कियों के कपड़ों के मामले में है तो हर दिन ऐसी खबरें आती हैं जब दो या तीन वर्ष की नन्ही बच्चियों से बलात्कार किया जाता है। उनके मामले में तो कपड़ों वाला मामला, देर रात घर आने वाला मामला या शराब पीने जैसा मामला नहीं है। दरअसल तो बलात्कार एक मानसिक बीमारी है।
हाल ही में दिल्ली में चलती बस में सामूहिक दरिंदगी का शिकार हुई निर्भया वाले मामले में दोषी ठहराए गए मुजरिम मुकेश सिंह ने वारदात के लिए लड़की को ही जिम्मेदार बताया है। निर्भया के परिजन इसके लिए मुकेश के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं। उधर तिहाड़ जेल ने लेसली को नोटिस थमा दिया है कि उन्होंने जेल में मुकेश से इंटरव्यू कैसे किया?