लॉकडाउन से सबक लेके बॉलीवुड को बदलने होंगे कामकाज के तरीके, खड़ी हो रही हैं कई चुनौतियां
जब बॉलीवुड के मेगास्टार शाहरुख खान ने प्रसिद्ध इंडी फिल्म मेकर मनीष मुंद्रा के साथ इस साल की शुरुआत में दृश्यम फिल्म्स द्वारा बनाई गई कामयाब को मार्च में रिलीज किया। तब शायद उन्होंने यह नहीं सोचा होगा की वे आने वाले समय में बॉलीवुड के सर्वाइवल के लिए एक वास्तविक मॉडल पेश कर रहे हैं।
अगर इस समय की बात करें तो दुनिया का सबसे बड़ा उद्योग घातक कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण बंद है और एक अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा है। फिल्म इंडस्ट्री में सब कुछ ठहर सा गया है शूटिंग रद्द कर दी गई हैं स्टूडियो और सिनेमाघर बंद हो गए हैं और साथ ही साथ सभी सितारे अपने-अपने घरों में बंद होकर रहने पर मजबूर हैं।
हर कोई इस वक्त यही उम्मीद लगाए बैठा है कि केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए तीन हफ्ते का लॉकडाउन 14 अप्रैल को हटा दिया जाएगा। हालांकि अभी इस बारे में कुछ भी कह पाना निश्चित नहीं है। इसके अलावा ऐसी भी आशंकाएं हैं कि लॉकडाउन के हटने के बाद सिनेमाघरों को तुरंत नहीं खोला जाएगा। ऐसे में कुछ भी हो बॉलीवुड को कोविड-19 के प्रकोप से उत्पन्न इस अभूतपूर्व संकट से निपटने के लिए अपने इकोसिस्टम को फिर से सुधारने की आवश्यकता है।
उद्योग के विशेषज्ञों को यह डर भी सता रहा है की लॉकडाउन के हटने के बाद दर्शक भविष्य में इस बीमारी के डर से सिनेमाघरों तक जल्दी नहीं आएंगे जिस कारण सामान्य व्यापार पर खतरा मंडरा रहा है। यह वास्तव में एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है। इसीलिए आने वाले कुछ समय में बॉलीवुड को कई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
इन सब में बॉलीवुड की सबसे बड़ी चुनौती निसंदेह बड़े स्टार्स की फिल्में होंगी जो नियमित रूप से बॉक्स ऑफिस रिटर्न पर निर्भर करती हैं। शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान और अक्षय कुमार जैसे बड़े सुपरस्टारों की फिल्मों को पहले वीकेंड में ही शानदार कलेक्शन की उम्मीद होती है लेकिन अगर सिनेमाघरों में भीड़ ना हुई और इससे विपरीत परिणाम आए तो फिल्म इंडस्ट्री बड़ी मुसीबत में आ जाएगी। इसलिए ऐसी फिल्मों के निर्माता स्पष्ट रूप से लॉकडाउन को हटाए जाने के तुरंत बाद अपनी फिल्म को रिलीज करने की जल्दी नहीं करेंगे बल्कि स्थिति के सामान्य होने का इंतजार करेंगे। लेकिन वे अपनी फिल्मों के रिलीज को कब तक रोक सकते हैं यह भी एक महत्वपूर्ण विषय है।
ऐसे में इनके मुकाबले अपेक्षाकृत कम या उचित बजट पर बनी फिल्में बेहतर स्थिति में होंगी। क्योंकि व्यवसायिक दृष्टि से ऐसी फिल्मों को ज्यादा कलेक्शन की उम्मीदें नहीं होती इसीलिए अगर सिनेमाघरों में कम लोग भी आते हैं इसके बावजूद भी उनके लिए ज्यादा मुश्किल नहीं होगी।
ऐसे में बड़े-बड़े सुपरस्टार भी खुद को छोटे बजट की फिल्मों के लिए उपलब्ध बनाने के लिए अपनी पहाड़ जैसी फीस को कम कर सकते हैं। ऐसे में फिल्म व्यापार से जुड़ी हर चीज पर इसका प्रभाव पड़ेगा। उदाहरण के तौर पर फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों को कम दामों पर बेचेंगे और साथ ही मल्टीप्लेक्स के मालिक दर्शकों को अपनी ओर वापस खींचने के लिए टिकटों के दाम भी कम करेंगे।
बड़े सितारे भी छोटी फिल्मों के लिए अपना पूरा सहयोग देने पर जोर देंगे और फिल्म अर्थव्यवस्था उसको फिर से पटरी पर लाने की पुरजोर कोशिश करेंगे जिसका उदाहरण शाहरुख खान ने मनीष मुद्रा की संजय मिश्रा स्टारर कामयाब फिल्म को सहयोग करके दिखाया। सस्ते बजट पर बनी एक अच्छी फिल्म का एक बड़ा फायदा यह भी है कि वह नेटफ्लिक्स और अमेज़न जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म ओर से भी अपनी लागत वसूल कर सकती है। यह एकमात्र ऐसा प्लेटफार्म है जो कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते किसी भी तरह के नुकसान से दूर है। हालांकि ऐसा 150 करोड रुपए के बजट पर बनी फिल्म के लिए नहीं कहा जा सकता। ऐसी फिल्में केवल स्ट्रीमिंग नेटवर्क से अपनी लागत वसूल नहीं कर सकती उन्हें अपनी लागत वसूलने के लिए कम से कम 2 हफ्ते तक सिनेमा हॉल में टिकना होता है।
इसीलिए फिल्म व्यवसाय के सभी हिट धारकों को भविष्य में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने के लिए सावधानीपूर्वक नई योजनाएं और नए तरीके तैयार करने होंगे। अगर उन्हें आगे आने वाले समय में खुद को बचाए रखना है तो उन्हें पूरी तरह से नए इकोसिस्टम को तैयार करने की आवश्यकता है।