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28 January 2019

रूबरू रोशनी: तीन माफीनामों का दस्तावेज, जिनसे गुजरकर हम इंसान के तौर पर निखरते हैं

Hptstar

कितनी बार इंसान को गर्दन उठानी होगी

इससे पहले कि वो आसमान देख सके?

एक आदमी के कितने कान होने चाहिए

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कि वो औरों का बिलखना सुन सके?

कितनी मौतें उसे यकीन दिलाएंगी

कि होने वाली मौतें बहुत हैं

- बॉब डिलन

हे प्रभु! इन्हें माफ कर देना। ये नहीं जानते ये क्या कर रहे हैं।

- जीसस

आमिर खान प्रोडक्शन के तहत बनी फिल्म ‘रूबरू रोशनी’ 26 जनवरी को स्टार प्लस, स्टार वर्ल्ड और हॉटस्टार पर रिलीज हुई। इसका निर्देशन स्वाति चक्रवर्ती भटकल ने किया है। इसे हिंदी समेत सात भाषाओं में रिलीज किया गया है। यह तीन असल माफीनामों का एक दस्तावेज है, जिससे गुजरने के बाद हम इंसान के तौर पर और निखरते हैं। यह धार्मिक उन्माद की वजह से की गईं हत्याएं और हत्याओं को अंजाम देने वालों को माफ कर देने वालों की कहानी है। फिल्म से यह संदेश निकलता है कि कब तक कोई नफरत का जहर सीने पर उठाए घूमे? जिससे आप नफरत करते हों, उसे माफ कर देना इस बोझ को हल्का करने का एक उपाय है।

1984, बदले की आग और माफी

रूबरू रोशनी की पहली कहानी इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान पवित्र स्वर्ण मंदिर पर सेना की कार्रवाई और उसके बाद की हिंसा से निकलती है। घटना का असर पढ़े लिखे नौजवान रणजीत सिंह ‘कुकी’ और उसके दोस्तों पर इस तरह पड़ता है कि वो दिल्ली में पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा के दामाद और कांग्रेस सांसद ललित माकन की हत्या कर देता है। ललित को बचाने के चक्कर में उनकी पत्नी भी मारी जाती हैं। कुकी के इस अपराध का खामियाजा ललित माकन की बेटी अवंतिका को कई साल तक भुगतना पड़ता है जो घटना के वक्त महज छह साल की थीं। कुकी न्यूयॉर्क में 14 साल की जेल काटने के बाद जब वापस लौटता है तो उसे यहां उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है। बाद में अवंतिका कुकी को माफ कर देती है और वह कुकी की रिहाई की अपील करती है। कुकी की रिहाई हो जाती है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे अवंतिका कुकी को एक दिन परिवार समेत अपने घर में लंच पर बुलाती है। कुकी को भी अपनी गलती का एहसास है।

नन की हत्या और समंदर सिंह का पश्चाताप

दूसरी कहानी 1995 में मध्य प्रदेश में धार्मिक घृणा में अपनी जान गंवाने वाली नन रानी मारिया की है। समंदर सिंह नाम के एक शख्स ने निर्दोष रानी मारिया की चाकुओं से हत्या कर दी थी। समंदर सिंह को शक था कि वे धर्म परिवर्तन जैसे काम करा रही हैं। अब रानी मारिया की बहन ने समंदर सिंह को माफ कर दिया है। समंदर सिंह को भी अपने किए पर पछतावा है। ईसाई धर्म में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं है लेकिन रानी मारिया की बहन हर साल समंदर सिंह को राखी बांधती है। इसके लिए समंदर सिंह मध्यप्रदेश से केरल जाता है और यह सिलसिला आज भी जारी है।

26/11 हमले में अपना पति खोने वाली विदेशी महिला कीया

तीसरी कहानी 26/11 के मुंबई पर आतंकी हमलों में अपना पति खोने वाली विदेशी महिला कीया की है। इस कहानी में 26/11 के कई फुटेज दिखाए गए हैं। इसमें हमले का दोषी अजमल कसाब से पुलिस की पूछताछ का भी फुटेज है। वह बताता है कि कैसे गरीबी और जिहाद ने उसे आतंकवाद के रास्ते पर ला दिया। उस दिन कीया के पति ओबेरॉय होटल में रुके हुए थे। उनकी हत्या के बाद से आज तक कीया हर साल मुंबई आती हैं। वह भी अब जीवन में आगे बढ़ चुकी हैं और हत्यारों से नफरत का बोझ उन्होंने उतार फेंका है।

कई बार भावुक करती है फिल्म

रूबरू रोशनी में दिखाई गई घटनाओं में जब अपराधी और पीड़ित पक्ष एक दूसरे के सामने होते हैं तो एक नया नजरिया सामने आता है। किसी को माफ कर देना निश्चित ही बेहतरीन मानवीय गुण है।

फिल्म में पटकथा नहीं है, नाटकीय दृश्य नहीं हैं। बल्कि इसकी कहानी वास्तविक संवादों, दृश्यों, सन्दर्भ के तौर पर पुरानी फुटेज के सहारे बुना गया है। वैसे कहानी बताने का यह ढंग नया नहीं है, लेकिन संवादों के सहारे जैसे जैसे तीनों कहानियां अपने निष्कर्ष की ओर बढ़ती हैं, आप भावुक कर देने वाले कई क्षणों से होकर गुजरते हैं। आमिर खान ने फिल्म में नैरेटर की भूमिका निभाई है। यह फिल्म मनोरंजन नहीं परोसती लेकिन हर दौर में आने वाले सवाल और उनके जवाब भी देती है। खासकर आज के दौर में जब मॉब लिंचिंग और धार्मिक पहचान के आधार पर किसी की हत्या आम बात हो गई है।

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TAGS: Rubaroo Roshni review, aamir khan productions film, importance of forgiveness
OUTLOOK 28 January, 2019
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