पटकथा लेखक बने एआर रहमान
रहमान 25 फरवरी को जय हो के वर्ल्ड प्रीमियर के अवसर पर शहर में मौजूद थे। यह रहमान की जिंदगी और शानदार करियर पर आधारित एक डॉक्यूमेंटी है। इसका प्रदर्शन प्रतिष्ठित म्यूजियम ऑफ द मूविंग इमेज के खचाखच भरे थियेटर में किया गया।
रहमान ने कहा कि फिल्म निर्माण और पटकथा लेखन का ख्याल उन्हें इसलिए आया क्योंकि वह संगीत से इतर कुछ करने की चुनौती अपने सामने रखना चाहते थे और कुछ नया करना चाहते थे।
सौ से ज्यादा हिंदी और तमिल फिल्मों के लिए संगीत बनाने के साथ-साथ हॉलीवुड के भी कई प्रोजेक्ट कर चुके रहमान ने कहा कि भारतीय फिल्मों के लिए जिस तरह से गाने बनाए जाते हैं, उनमें एक तरह का दोहराव है। उन्होंने कहा कि हर फिल्म में कुछ मधुर गीत और एक आइटम सांग होता है।
रहमान ने कहा कि उनकी पहली फिल्म के लिए कलाकारों का चयन शुरू हो चुका है। हालांकि उन्होंने इस बारे में और ज्यादा जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि जब वह संगीतमयी ब्रितानी फिल्म बॉम्बे ड्रीम्स पर काम कर रहे थे, तब इसके रचनाकार एंड्र्यू एल वेबर ने उनसे पूछा कि क्या उनके पास किसी कहानी का विचार है? रहमान ने जवाब दिया कि वह एक संगीतकार हैं और उनके अपने पास कोई कहानी नहीं है।
48 वर्षीय रहमान को डेनी बॉयल की स्लमडॉग मिलेनियर के लिए मिले अकादमी पुरस्कार, गोल्डन ग्लोब और ग्रैमी पुरस्कार ने अमेरिका में एक विशेष पहचान दिलाई है।
रहमान ने निर्देशक की भूमिका में उतरने से इंकार करते हुए कहा कि चूंकि वह एक अंतर्मुखी इंसान हैं, इसलिए वह खुद को एक निर्देशक के रूप में नहीं देखते।
60 मिनट की फिल्म जय हो का निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्माता और निर्देशक उमेश अग्रवाल ने किया है। इस डॉक्यूमेंटी का नाम रहमान द्वारा स्लमडॉग मिलेनियर के लिए तैयार किए गए लोकप्रिय गीत जय हो से ही लिया गया है। यह गाना एक खास गीत बन चुका है, जिसे दुनियाभर के कई गायक पेश कर चुके हैं।