आवरण कथा: गुरबत से शोहरत का सफरनामा, इस तरह छोटे से गांव से मायानगरी पहुंची मान्या
महज 14 बरस की उम्र में उत्तर प्रदेश में देवरिया जिले के छोटे-से गांव सहवां में गुरबत भरी जिंदगी की घुटन से दूर ‘रोशनी’ की तलाश में मुंबई भागी मान्या सिंह ने फेमिना मिस इंडिया-2020 रनर अप का ताज पहनकर न केवल अपना सपना सच किया, बल्कि गरीब लड़कियों में उम्मीद की किरण जगा दी। खेत मजदूर परिवार में उसके बचपन की कई रातें भूखे गुजरीं। पहनने को भी उतरन ही नसीब हुई। आखिर वह एक दिन रेल में बे-टिकट सवार होकर मुंबई भाग आई। चार दिन तक मुंबई की सड़कों पर बदहवास भूखी भटकती रही। उसे नहीं पता था कि क्या करेगी, कहां रहेगी।
चार दिन से गायब अपनी बड़ी संतान की तलाश में मां-बाप भी मुंबई पहुंचे। मान्या मिली पर कई दिनों तक कोई काम नहीं था। खेतों में हल चलाने वाले मजदूर पिता ने आखिर मुंबई में भाड़े के ऑटो-रिक्शा का हैंडल थाम लिया। मां दूसरों के घरों में बर्तन मांजती। फिर भी चार जन के परिवार का गुजर-बसर बहुत मुश्किल था। मान्या ने ओपन स्कूल (कक्षा में बगैर हाजिरी के) से नौंवी, दसवीं के बाद ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई के साथ रेस्तरां में बर्तन मांजे, कॉल सेंटर में भी काम किया।
ग्लैमर की दुनिया में आने का मान्या का सपना बड़ा था पर नामुमकिन नहीं। कॉलेज ले जाने वाले जिस बैग में किताबों के साथ रैम्प पर कैटवॉक करने को ‘हाई हिल’ सैंडल रखती तो पिता ओमप्रकाश हमेशा टोकते, “सरस्वती का अपमान कर रही हो, कैसे आएगी तुम्हें पढ़ाई, भला किताबों के साथ सैंडल भी कोई रखता है?”
लेकिन अपने जुनून में सब जायज मान मान्या लगी रही। सौंदर्य प्रतियोगिताओं की प्रतिभागी होने से पहले मान्या को यही डर हमेशा सालता था कि उसे पढ़े-लिखे लोगों का पहनने, खाने और बातचीत का ढंग कैसे और कहां से सिखने को मिलेगा? वे कहती हैं, “मुंबई के पिज्जा हट रेस्तरां के बाद कॉल सेंटर की नौकरी से उन्हें यह सब सीखने को मिला।”
कॉल सेंटर की नौकरी से उसे वॉकपटुता तो रेस्तरां ने पहनावे से लेकर खाने-पीने का ढंग सिखाया। पढ़ाई के साथ मान्या की नौकरी, मां की भी सैलून में हेयर डिजाइन की नौकरी और ऑटोरिक्शा चालक पिता की थोड़ी-बहुत कमाई से परिवार की माली हालत कुछ सुधरी। पिता ने भाड़े का ऑटो रिक्शा छोड़ अपना नया ऑटोरिक्शा खरीदा ही था कि कोराना की वजह से लगे लॉकडाउन ने धंघे पर भी लॉक लगा दिया। मां को भी सैलून से पगार बंद हो गई। कोराना पाबंदी के पहरे में सौंदर्य प्रतियोगिताओं पर भी लंबे समय तक प्रतिबंध रहा। इस बीच आशा की किरण जगी जब मान्या के सिर मिस यूपी और फिर फेमिना मिस इंडिया रनर अप का ताज सजा।
पिता ओमप्रकाश आश्वस्त हैं कि खोली से निकल मायानगरी में अब उनका भी सपनों का महल होगा, जहां ऑटोरिक्शा भी खड़ा होगा। “मायानगरी में पहला निवाला इसी ऑटोरिक्शा से नसीब हुआ जीते-जी इसे नहीं छोडूंगा।”