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21 February 2015

पंजाबी फिल्म द ब्लड स्ट्रीट सेंसर बोर्ड में अटकी

गूगल

लगता है पंजाबी फिल्म उद्योग अब बॉलीवुड से भी आगे निकलने की तैयारी में है। सेंसर बोर्ड में अटकी द ब्लड स्ट्रीट भी सत्य घटनाओं पर आधारति है और इसमें भी सन 1984 के बाद के दंगों के बाद की स्थिति को बताया गया है। फिल्म के मुख्य अभिनेता कमऱर्मजीत बराड़ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है, जो युवाओं को जुर्म के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करेगी।

कमाई के लिहाज से भी यह अव्वल रहेगी और द मैसेंजर फिल्म से ज्यादा कमाई करेगी।’ इससे पहले भी कौम दे हीरे नाम से भी एक फिल्म के लिए निर्माता निदेशक को रिलीज के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। बराड़ ने कहा कि सेंसर बोर्ड अगर इस फिल्म को भारत में रिलीज करने की इजाजत नहीं देता है, तो यह फिल्म विदेशों में रिलीज होगी, लेकिन रिलीज जरूर होगी। इस फिल्म में संत दादूवाल ने जुर्म के खिलाफ आवाज उठाने की सीख दी है। एमएसजी से ज्यादा कमाई करने का कारण बताते हुए फिल्म से जुड़े दर्शन दरवेश ने कहा, ‘एमएसजी में केवल मानवता भलाई के कार्यों को दर्शाया गया है, लेकिन यह फिल्म 1984 के बाद पंजाब में चले काले दौर की सच्ची घटना पर आधारित है।’ सेंसर बोर्ड ने यह कहते हुए फिल्म पर रोक लगाई है कि यह युवाओं को भड़काने का काम करेगी।

फिल्म से जुड़े लोगों का कहना है, इस फिल्म में युवाओं को जुर्म के खिलाफ लडऩे की प्ररेणा दी गई है, इसलिए यह फिल्म युवाओं को भड़काने का काम नहीं करेगी, बल्कि उन्हें आत्मरक्षा करने की सीख देगी। यह कहानी केवल पंजाब की ही नहीं है, उस हर देश की है, जहां लोग जुर्म के आगे घुटने टेक देते है। बराड ने कहा कि बहुत जल्द फिल्म की पूरी टीम सेंसर बोर्ड के प्रमाण पत्र के लिए दोबारा अपील करेगी और उन्हें विश्वास है कि इस बार बोर्ड द ब्लड स्ट्रीट को भारत में रिलीज करने की इजाजत दे देगा।

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TAGS: द ब्लड स्ट्रीट, कौम दे हीरे, पंजाबी फिल्म, एमएसजी
OUTLOOK 21 February, 2015
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