पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूर्व राजदूत कंवल सिब्बल की मांग: सिंधु जल संधि को निलंबित करे भारत
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई और 17 घायल हुए हैं। इससे देशभर में आक्रोश है। इसपर भारत के पूर्व राजदूत और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के चांसलर कंवल सिब्बल ने केंद्र सरकार से सिंधु जल संधि को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित करने का आग्रह किया है। सिब्बल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में सिंधु जल संधि को निलंबित करने का समय आ गया है। हमने कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। अब अपनी घोषित नीति पर अमल करें।
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि के तहत रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का पानी भारत को, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को आवंटित है। हालांकि, इस संधि से पाकिस्तान को सिंधु नदी प्रणाली के 80% जल का लाभ मिलता है। सिब्बल का मानना है कि इस संधि को निलंबित करना पाकिस्तान पर दबाव बनाने का एक रणनीतिक कदम होगा, जिसे भारत आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार मानता है।
पहलगाम के बैसारन घाटी में हुए इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। यह पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का एक सहयोगी संगठन है। हमले में दो विदेशी नागरिकों सहित भारतीय पर्यटक मारे गए। इनमें एक भारतीय नौसेना अधिकारी और खुफिया ब्यूरो के एक अधिकारी भी शामिल थे। हमलावरों ने गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा बीच में छोड़कर दिल्ली लौटकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक की। कश्मीर में फंसे पर्यटकों के लिए श्रीनगर से दिल्ली और मुंबई के लिए चार अतिरिक्त उड़ानें शुरू की गईं। कर्नाटक सरकार ने अपने 40 फंसे पर्यटकों के लिए विशेष उड़ान की व्यवस्था की। सिब्बल की मांग ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नए तनाव की संभावना को जन्म दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि संधि निलंबन से क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है। हालांकि यह अनुमान लगाया जाने लगा है कि इसके लिए पाकिस्तान को भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।