एच1बी वीजा पर ट्रंप का क्या होगा रुख? शपथ ग्रहण से पहले बहस हुई तेज
अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से तीन सप्ताह पहले ‘एच-1बी’ वीजा को लेकर बहस छिड़ गई है, जिसके कारण डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों दलों में मतभेद पैदा हो गए हैं।
उच्च कुशल पेशेवरों को दिए जाने वाले विदेशी अतिथि श्रमिक वीजा ‘एच-1बी’ के मुख्य लाभार्थी भारतीय हैं।
ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। उन्होंने एच-1बी वीजा का समर्थन किया है। उनके दो करीबी विश्वासपात्रों- टेस्ला के मालिक एलन मस्क और उद्यमी विवेक रामास्वामी भी एच-1बी का समर्थन कर रहे हैं। इन दोनों को नव गठित सरकारी दक्षता विभाग का नेतृत्व करने के लिए नामित किया गया है।
रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति और श्री थानेदार सहित भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेटिक सांसद भी एच-1बी वीजा के समर्थन में सामने आए हैं।
ट्रंप के कुछ समर्थकों का कहना है कि एच-1 बी वीजा के कारण अमेरिकियों की नौकरियां खत्म हो रही हैं लेकिन मस्क और रामास्वामी दोनों ने ही एच-1बी वीजा का समर्थन किया है।
प्रभावशाली डेमोक्रेटिक सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने भी ‘एच-1बी’ वीजा का विरोध किया।
सैंडर्स ने कहा, ‘‘एलन मस्क और कई अन्य अरबपति कंपनियों के मालिकों ने तर्क दिया है कि यह संघीय कार्यक्रम हमारी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अत्यधिक कुशल अमेरिकी इंजीनियर और अन्य तकनीकी कर्मचारियों की कमी है। मैं इससे असहमत हूं।’’
इस बीच, सैंडर्स के पार्टी सहयोगी राजा कृष्णमूर्ति ने मस्क और रामास्वामी का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘एच-1बी कार्यक्रम दुनिया भर से सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली प्रतिभाओं को आकर्षित करता है।