अरशद मदनी का बड़ा बयान, मदरसों को बोर्ड से संबद्धता की जरूरत नहीं, उन्हें आतंकवाद से जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने रविवार को कहा कि मदरसों को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड से संबद्ध होने की कोई आवश्यकता नहीं है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिक्षा को आतंकवाद से जोड़ने के प्रयास किए गए।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को मदरसों की मदद करने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे समुदाय की मदद से "हिमालय से भी ज्यादा मजबूत" खड़े हो सकते हैं। उनकी टिप्पणी का महत्व उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पिछले महीने राज्य के सभी निजी मदरसों के सर्वेक्षण का आदेश देने की पृष्ठभूमि में है, जिसमें कहा गया है कि अध्ययन के आधार पर उन्हें आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
उन्होंने मदरसा संचालकों की एक बैठक में कहा, "दारुल उलूम देवबंद और उलेमाओं ने देश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। और मुख्य उद्देश्य भारत को स्वतंत्र बनाना था। दुनिया में कोई भी बोर्ड मदरसों की स्थापना के पीछे के उद्देश्य को नहीं समझ सकता है और इसलिए उन्हें किसी भी बोर्ड से संबद्ध प्राप्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है।"
उन्होंने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मदरसों पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं और उन्हें आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। मदरसों और जमीयत का राजनीति से जरा भी संबंध नहीं है।"
मदनी ने आगे कहा कि सरकार को मदरसों को फंड देने की जरूरत नहीं है क्योंकि समुदाय शिक्षा का खर्च वहन करता है।