जामा मस्जिद में लड़कियों के आने पर रोक, स्वाति मालीवाल बताया इसे महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन; जारी करेंगी नोटिस
राजधानी दिल्ली की मशहूर जामा मस्जिद के प्रशासन ने मुख्य द्वार के बाहर नोटिस लगा दिया है कि लड़कियों के अकेले या समूह में मस्जिद के अंदर जाने पर रोक है। गौरतलब है कि इस मुद्दे ने कुछ महीनों पहले भी तुल पकड़ा था। हालाकि शाही इमाम ने यह भी कहा कि यह आदेश नमाज़ अदा करने वालों पर लागू नहीं होता है।
प्रशासन के सूत्रों ने कहा कि नोटिस,जिसकी कोई तारीख नहीं बताई गईं है,मस्जिद के तीन मुख्य प्रवेश द्वारों के बाहर कुछ दिन पहले लगाए गए थे। प्रशासन द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है, "जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले आना मना है।"
शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के अनुसार, विरासत संरचना के परिसर में कुछ "घटनाओं" की सूचना के बाद निर्णय लिया गया था। इमाम बुखारी ने कहा, ''जामा मस्जिद इबादत की जगह है और इसके लिए लोगों का स्वागत करते हैं। लेकिन लड़कियां अकेले आती हैं और अपने 'दोस्तों' का इंतजार करती हैं।
इमाम बुखारी ने कहा ऐसी कोई भी जगह, चाहे वह मस्जिद हो, मंदिर हो या गुरुद्वारा। ये सभी पूजा की जगह (इबादत की जगह है) है और उस उद्देश्य के लिए किसी के आने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। बस आज ही 20-25 लड़कियों का एक समूह आया और और उन्हें प्रवेश करने की अनुमति दी गईं है।
वही दूसरी तरफ , दिल्ली महिला आयोग (DCW) की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने इसे महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करार दिया और कहा कि वह नोटिस जारी कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि जामा मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना पूरी तरह से गलत है। जिस तरह का अधिकार एक पुरुष को इबादत करने का है, महिलाओं को भी वही अधिकार हैं। मैं जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हूं। किसी को भी प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है।"