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25 October 2023

दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा बयान, पत्नी पढ़ी-लिखी है तो इसका यह मतलब नहीं कि उसे नौकरी के लिए मजबूर किया जाए

PTI

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि सिर्फ इसलिए कि पत्नी स्नातक तक की पढ़ाई कर चुकी है, उसे नौकरी के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता और यह नहीं माना जा सकता कि वह अलग रह रहे पति से गुजारा भत्ता पाने के लिए जानबूझकर काम नहीं कर रही।

अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक व्यक्ति ने इस आधार पर पत्नी को दिए जाने वाले अंतरिम गुजारा भत्ते की राशि 25 हजार रुपये से घटाकर 15 हजार रुपये करने का अनुरोध किया था कि वह (पत्नी) विज्ञान में स्नातक तक पढ़ी हुई है।न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पत्नी स्नातक तक पढ़ी हुई है, हालांकि उसे कभी लाभप्रद रोजगार नहीं मिला।

पीठ ने कहा कि कुटुंब अदालत द्वारा निर्धारित अंतरिम गुजारा भत्ते में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा, “इस बात का कोई तुक नहीं है कि केवल इसलिए कि पत्नी के पास स्नातक की डिग्री है, उसे नौकरी करने के लिए मजबूर किया जाए। यह भी नहीं माना जा सकता कि वह पति से अंतरिम भत्ता पाने के इरादे से काम नहीं कर रही।”
 
अदालत ने पत्नी की याचिका पर गुजारा भत्ता राशि बढ़ाने से भी इनकार कर दिया। हालांकि अदालत ने पति द्वारा अंतरिम गुजारा-भत्ते के भुगतान में देरी पर 1,000 रुपये प्रतिदिन के जुर्माने को रद्द कर दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ते के विलंबित भुगतान के लिए प्रति वर्ष छह प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान किया जाए।
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TAGS: Delhi highcourt, delhi high court statement, Forced job, HC on Educated wife
OUTLOOK 25 October, 2023
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