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10 July 2025

बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- संविधान के तहत जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का निर्वाचन आयोग का फैसला संवैधानिक है। यह सुनवाई बिहार विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुए इस पुनरीक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर हुई। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। निर्वाचन आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत जरूरी है, जो केवल 18 साल से अधिक उम्र के भारतीय नागरिकों को मतदाता के रूप में पंजीकरण की अनुमति देता है। 

बिहार में 25 जून 2025 से शुरू हुआ यह SIR अभियान विवादों में है। विपक्षी दलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों ने इसे असंवैधानिक और मनमाना बताया। याचिकाकर्ताओं में राजद सांसद मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार), सीपीआई, सपा, शिवसेना (यूबीटी), और अन्य शामिल हैं। उन्होंने दावा किया कि यह प्रक्रिया मुस्लिम, दलित और गरीब प्रवासी समुदायों को मताधिकार से वंचित कर सकती है। याचिकाओं में कहा गया कि मतदाताओं पर नागरिकता साबित करने का बोझ डाला गया है, और आधार कार्ड व राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को मान्यता नहीं दी जा रही। 

निर्वाचन आयोग ने बताया कि 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 57.5% ने 15 दिनों में गणना फॉर्म जमा किए। यह अभियान अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से हटाने के लिए है। आयोग ने कहा कि जिन्होंने 25 जुलाई तक दस्तावेज जमा नहीं किए, उन्हें दावे और आपत्ति की अवधि में मौका मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि इस प्रक्रिया को ‘कृत्रिम’ न कहें, क्योंकि इसके पीछे तर्क है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि गैर-नागरिकों को हटाना गृह मंत्रालय का अधिकार है, न कि निर्वाचन आयोग का। 

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विपक्ष ने इसे सत्तारूढ़ दलों के पक्ष में मतदाताओं को हटाने की साजिश बताया। बिहार में 2003 के बाद यह पहला SIR है। कोर्ट ने याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है।

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TAGS: Bihar voter list, Special Intensive Revision, Supreme Court, Election Commission, unconstitutional, citizenship proof
OUTLOOK 10 July, 2025
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