Advertisement
21 May 2020

बिहार की इस लड़की को अखिलेश देंगे एक लाख रुपये, साइकिल पर पिता को बैठाकर किया था 1200 किमी का सफर

कोरोना वायरस से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में जहां-तहां फंसे मजदूरों के हौसले की कई कहानियां सामने आ रही हैं। इस बीच प्रवासी कामगारों के हौसले की एक कहानी बिहार से सामने आई जब, लॉकडाउन के बीच 15 वर्षीय बेटी अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर 1200 किलोमीटर का सफर कर घर पहुंची। कोरोना लॉकडाउन के कारण उन्हें कोई वाहन नहीं मिला था। ऐसे में लड़की ने गुरुग्राम से बिहार तक का रास्ता खुद साइकिल से नापा। करीब एक हफ्ते तक पिता को साइकिल पर पीछे बिठाकर वह लड़की बिहार के दरभंगा पहुंची। इस लड़की के हौसले और साहस को सलाम करते हुए यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक लाख रुपये की मदद का ऐलान किया है।

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से कहा, सरकार से हारकर एक 15 वर्षीय लड़की निकल पड़ी है अपने घायल पिता को लेकर सैकड़ों मील के सफर पर... दिल्ली से दरभंगा। आज देश की हर नारी और हम सब उसके साथ हैं। हम उसके साहस का अभिनंदन करते हुए उस तक 1 लाख रुपये की मदद पहुंचाएंगे।

 

Advertisement

दरअसल, इस 15 साल की ज्योति ने एक हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी सात दिन में तय किया। वो एक दिन में 100 से 150 किलोमीटर अपने पिता को पीछे बिठा कर साइकिल चलाती थी। जब कहीं ज्यादा थकान होती तो सड़क किनारे बैठ कर ही थोड़ा आराम कर लेती थी।

दरभंगा जिला के सिंहवाड़ा प्रखण्ड के सिरहुल्ली गांव निवासी, मोहन पासवान गुरुग्राम में रहकर टेम्पो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया करते थे, पर इसी बीच वे दुर्घटना के शिकार हो गए। दुर्घटना के बाद अपने पिता की देखभाल के लिए 15 वर्षीय ज्योति कुमारी वहां चली गई थी पर, इसी बीच कोरोना वायरस की वजह से देशव्यापी बंदी हो गई। आर्थिक तंगी के मद्देनजर ज्योति के साइकिल से अपने पिता को सुरक्षित घर तक पहुंचाने की ठानी।

बेटी की जिद पर उसके पिता ने कुछ रुपये देकर तो कुछ उधार करके एक पुरानी साइकिल खरीदी। ज्योति अपने पिता को साइकिल के कैरियर पर एक बैग लिए बिठाए, आठ दिनों की लंबी और परेशानी भरी यात्रा के बाद अपने गांव सिरहुल्ली पहुंची है। गांव से कुछ दूरी पर अपने पिता के साथ एक क्वारेंटाइन सेंटर पर रह रही ज्योति, अब अपने पिता के हरियाणा वापस नहीं जाने को कृतसंकल्पित है।

ज्योति के पिता ने कहा कि उन्हें साइकिल घर लौटने का फैसला तब लेना पड़ा जब उनके पास पैसे नहीं बचे थे। मकान मालिक पैसे देने या फिर घर खाली करने के लिए दबाव बना रहा था। इस वजह से हमने साइकिल से ही घर लौटने का फैसला लिया। वहीं, ज्योति के पिता ने अपनी बेटी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह वास्तव में मेरी 'श्रवण कुमार' है।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: 15-year-old Girl, Rides, Bicycle, 1200 Km, Father, From Gurugram, To Bihar
OUTLOOK 21 May, 2020
Advertisement