Advertisement
20 October 2022

बिहार: बेलगाम बोल से बवाल

“कृषि मंत्री के इस्तीफे के बाद बिहार में सियासत गरमाई”

राज्य में महागठबंधन में शायद सब कुछ ठीक नहीं चल रहा या कुछ असंतोष के स्वर उभरने लगे हैं। उसके अहम घटक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के दिल्ली अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद और शरद यादव की मौजूदगी में तेज प्रताप यादव और महासचिव श्याम रजक के बीच ऐसी ठनी कि रजक अस्पताल पहुंच गए। आखिर, अब राजद के मौजूदा चेहरे तथा उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को कहना पड़ा, हमें व्यक्तिगत मतभेदों को 2024 में भाजपा को हराने के बड़े लक्ष्य के आड़े नहीं आने देना चाहिए। अधिवेशन में पार्टी के राज्य अध्यक्ष जगदानंद सिंह नहीं पहुंचे, जिनके बेटे सुधाकर सिंह को हाल में अपने बयानों के चलते कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। सुधाकर सिंह ने अपने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा था कि सभी चोर हैं और वे चोरों के सरदार।

मौका देखते ही भाजपा से लेकर हम के सर्वेसर्वा जीतन राम मांझी, लोजपा, जदयू से टूटे आरसीपी सिंह ने सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष, भाजपा सम्राट चौधरी ने कहा कि राजद ने मुख्यमंत्री की उल्टी गिनती शुरू कर दी है। उधर, सुधाकर के स्वर में स्वर मिलाकर पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने दिवंगत केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह की श्रद्धांजलि सभा में कहा कि इंडिया के मनरेगा मैन रघुवंश बाबू के राज्य में मनरेगा घोटाले का पुलिंदा है। आरसीपी सिंह ने मुख्यमंत्री से अपने शासनकाल पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग की।

Advertisement

लगभग उसी दौरान राजद की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में शिवानंद तिवारी ने कह दिया कि नीतीश को “आश्रम” खोल लेना चाहिए और तेजस्वी को 2025 में मुख्यमंत्री पद सौंप देना चाहिए। बाद में दिल्ली के अधिवेशन में शायद इसी वजह से लालू यादव को कहना पड़ा कि बड़े और संवेदनशील मसलों पर सिर्फ तेजस्वी ही बोलेंगे।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

यह सब जारी ही था कि मुख्यमंत्री यह कहकर प्रशांत किशोर से भी उलझ गए कि- वह भाजपा के लिए खेल रहा है। कुछ पहले तो वह मुझे जदयू के कांग्रेस में विलय की सलाह दे रहा था। 2 अक्टूबर से बिहार की करीब 3500 किलोमीटर की पदयात्रा चंपारण से शुरू कर चुके प्रशांत किशोर ने जवाब में कहा कि नीतीश जी बूढ़े हो गए हैं और कुछ भी बोल रहे हैं। चंपारण में महिलाओं से किशोर ने कहा था कि- लालू यादव के बेटे को तो गद्दी मिल गई लेकिन आपके बेटे को क्या मिला। तो, अब सोच-समझकर वोट दीजिए।  

इन बयानों के इतर, विपक्षी भाजपा सुधाकर सिंह के मामले को विशेष तवज्जो दे रही है क्योंकि उसमें सियासत की ज्यादा गुंजाइश दिखती है। दरअसल कृषि मंत्री का पद संभालते ही सुधाकर सिंह अपने विभाग के धान रोपनी के आंकड़ों से उलझ गए। विभाग के मुताबिक 87 प्रतिशत रोपनी हो गई। उन्होंने इस पर आश्चर्य जताया और कहा कि आंकड़ों की बाजीगरी वर्षों से बिहार में चली आ रही है। उनका सवाल था कि वर्षा 40 प्रतिशत हुई तो रोपनी 87 प्रतिशत कैसे हो गई? फिर उन्होंने 2006 में समाप्त मंडी व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने की वकालत की। यही नहीं, सूखे पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित दो बैठकों में उन्होंने भाग नहीं लिया। इससे विपक्ष को मसाला मिल गया। अब विपक्ष राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठा रहा है। पिछले दिनों बेगूसराय में एक गिरोह ने राजमार्ग पर गोलियां बरसा कर कोहराम मचा दिया था।

कृषि मंत्री

पिछले दिनों नीतीश कुमार देश स्तर पर भाजपा विरोधी विपक्ष को एकजुट करने के लिए दूसरी पार्टियों के नेताओं से मिले और यूपी में फूलपुर सहित तीन लोकसभा क्षेत्रों में कहीं एक से संसदीय चुनाव लड़ने की अटकलें उड़ीं, तो उन पर निशाने तेज हो गए।

लोकसभा चुनाव में अभी करीब 20 महीनों की देरी है पर बिहार में चुनावी पैंतरेबाजी शुरू हो गई है। सत्ता से बेदखल होने के बाद भाजपा ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। 23 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीमांचल में जनसभा को संबोधित किया। फिर पटना हाइकोर्ट ने स्थानीय निकायों में 20 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को रोक दिया। कोर्ट के आदेश पर चुनाव स्थगित कर दिया गया। महागठबंधन ने ऐलान किया है कि इस के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट जाएगा।

नीतीश पर चौतरफा हमले हो रहे हैं, लेकिन वे अपने विरोधियों को ‘बेचैन आत्मा’ बता रहे हैं। बिहार से अभी और दिलचस्प खबरें सुनने को मिल सकती हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Bihar, Agriculture Ministers, Resignation, Outlook Hindi
OUTLOOK 20 October, 2022
Advertisement