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07 September 2021

विद्यालय ढहा बना दिया फोरलेन, 2 साल इंतजार बाद हाई-वे पर लगी बच्चों की क्लास, अब MLA मंज़िल के 'सड़क पर स्कूल' से हिली नीतीश सरकार!

"सर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपलोग बहुत जल्दी हमलोगों से मिलने आ गए। आप कह रहे हैं कि हम सभी आपकी बेटी समान हैं। यदि ऐसा होता तो फिर इतनी देर ना होती।" ये बातें तारामणि भगवान साव +2 विद्यालय कोइलवर, भोजपुर के छात्राएं शिक्षा विभाग के अधिकारियों से 3 सितंबर को कह रही थीं। छात्राओं की भीड़ के साथ सीपीआई-एमएल विधायक मनोज मंज़िल थे जो इस भीड़ की अगुवाई कर रहे थे। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भोजपुर के अगियांव विधानसभा क्षेत्र से मनोज मंजिल विधायक बने हैं और पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं।

दरअसल, बिहार में कोइलवर पुल के पास तारामणि भगवान साव +2 विद्यालय स्थित है, जो अब था में तब्दील हो चुका है। इस विद्यालय को तोड़कर पटना-बक्सर फोरलेन बनाया जा रहा है। मामला 2019, जनवरी का है जब इस विद्यालय को ढहा दिया गया था। इस विद्यालय में फिलहाल करीब 1600 बच्चे पढ़ रहे हैं। आउटलुक से बातचीत में भाकपा-माले विधायक मनोज मंज़िल कहते हैं, "वैकल्पिक व्यवस्था किए बगैर इस ऐतिहासिक स्कूल को ढहा दिया गया। पढ़ रहे 1600 से अधिक छात्र-छात्राओं के अधिकारों को छीन लिया गया। बताया गया कि इसे बगल के माध्यमिक विद्यालय के साथ जोड़ दिया गया है। लेकिन, जिस विद्यालय के पास खुद सीमित संसाधन और जगह है वो इतने बच्चों को कहां पढ़ाएंगे। क्या इनके लिए रात्रि में कक्षाएं चलेंगी। दो साल इंतजार बाद भी स्कूल का कोई अता-पता नहीं है।"

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विधायक बताते हैं कि, "ये विद्यालय 1955 में बना था। जहां एक तरफ राज्य के सैंकड़ों विद्यालयों में बच्चों के लिए ना तो समुचित संसाधन उपलब्ध हैं और ना ही खेल के लिए स्टेडियम, प्रैक्टिकल के लिए प्रयोगशाला और पढ़ाई के लिए पुस्तकालय। वहीं, इस विद्यालय में ये सभी सुविधाएं उपलब्ध थी। इस स्कूल की इतनी बेहतर व्यवस्था थी कि कोइलवर में कोई प्राइवेट स्कूल नहीं खड़ा हो पाया। अब इसकी छाती पर सड़क निर्माण किया गया है और यहां के छात्रों के भविष्य, आने वाली पीढ़ियों के साथ खिलवाड़ किया गया है।"

3 अगस्त को मामले के संज्ञान में आने के बाद एमएलए मनोज स्कूल का दौरा करने गए थे, जिसके बाद 7 अगस्त को छात्रों-अभिभावकों के साथ विधायक ने भोजपुर डीएम से मुलाकात की। मांग की गई कि "तीन साल बाद भी विद्यालय नहीं बन पाया है। हजारों बच्चों के सपनों के साथ सरकार और नौकरशाह खेल रहे हैं। अभी तक स्कूल की जमीन का अधिग्रहण भी नहीं हुआ है। शिक्षा अधिकारियों द्वारा दो सप्ताह का समय मांगे जाने के बावजूद भी समय-सीमा के भीतर वैकल्पिक वर्ग का संचालन शुरू नहीं किया गया।" इसके बाद मामले को मनोज मंज़िल ने राज्य सरकार में मंत्री मंगल पांडे के सामने रखा। लेकिन, आश्वासन मिलने के बावजूद भी कोई कदम नहीं उठाया गया।

कोरोना महामारी की वजह से लंबे समय से बंद विद्यालयों को फिर से राज्य की नीतीश सरकार की अनुमति के बाद 7 अगस्त को खोला गया। लेकिन, ये विद्यालय स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और राज्य सरकार के सुस्त रवैय्ये की वजह से दो साल बाद भी इस दिन नहीं खुल सका। मनोज मंज़िल बताते हैं, "सड़क पर स्कूल आंदोलन के जरिए सरकार तक अपनी बातों को पहुंचाने का प्रयास किया।" दरअसल, एक और लंबे इंतजार के बाद एक सिंतबर को एमएलए मनोज की अगुवाई में छात्रों की सड़क पर ही क्लास शुरू हो गई। फोरलेन के लंबा जाम होने के बाद सरकारी महकमा जगा और फिर अधिकारियों का दौरा शुरू हो गया और अब एक एकड़ से अधिक की जमीन का अलॉट स्कूल के लिए हुआ है। लेकिन, मनोज कहते हैं कि अभी समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है कि कब तक स्कूल बनकर तैयार हो जाएगा।

"सड़क पर स्कूल आंदोलन" के दौरान 50 से अधिक अभिभावकों, टेंट लगाने वाले टेंटहाउस मालिकों पर एफआईआर दर्ज कर ली गई, कई को गिरफ्तार कर लिया गया। इसमें मुख्य अभियुक्त मनोज मंज़िल को बनाया गया। वो बताते हैं, "छात्रों और अभिभावकों ने जब थाने का घेराव किया, कई घंटों तक थाने परिसर में धरना चला, उसके बाद सभी को छोड़ा गया और एफआईआर वापस ली गई। क्या अपने अधिकार के लिए लड़ने का राइट नहीं है हमारे पास।"

मनोज मंजिल इस "सड़क-पर-स्कूल" आंदोलन के जरिए अब तक 12 विद्यालयों के लिए मुहीम चला चुके हैं। वो बताते हैं कि अभी लड़ाई लंबी है। बिहार के हर विद्यालयों की यही स्थिति है। कहीं शिक्षक हैं तो संसाधन और कमरे नहीं। हालात बदतर है। सैंकड़ों विद्यालय बिना भवन के चल रहे हैं। 

एमएलए अपने विधानसभा क्षेत्र के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों के लिए आंदोलन कर रहे हैं। वो कहते हैं कि जिस विधानसभा क्षेत्र में ये कोइलवर विद्यालय है, वहां से राजद के विधायक हैं। लेकिन, उनकी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। स्कूल, अस्पताल के लिए लड़ रहे मनोज मंज़िल तंज कसते हुए कहते हैं, "अभी के विधायकों का काम सिर्फ टेंडर दिलाना, घूस लेना, फीता काटना है।" वाकई में, मनोज मंज़िल जिस तरह से छात्रों और आम जनता के बीच नजर आते हैं, वो तस्वीरें असाधारण दिखाई देता है, जिस दौर में नेता वीवीआईपी कल्चर से बाज नहीं आ रहे हैं। स्कूल आंदोलन के साथ ही अस्पतालों के लिए लगातार मनोज मंज़िल सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। वो बताते हैं, "अभी एक अस्पताल के लिए हमलोग सड़क पर आंदोलन करने वाले थे। लेकिन, अलटिमेटम के बाद फिर से बने अस्पताल सुचारू रूप से चालू कर दिया गया है। सही मायने में, बिहार की ये सभी बदहाली के उदाहरण हैं। सड़क स्कूल-कॉलेज, अस्पताल जाने के लिए बनता है या इसे तोड़ कर सड़कों का निर्माण होगा। विवेकहीन निर्णय से युवाओं का भविष्य दांव पर है। क्या कोइलवर स्कूल को तोड़े बिना सौ मीटर दाएं-बाएं से सड़क नहीं निकाला जा सकता था। सपनों को ध्वस्त कर विकास की खोखली इमारतें खड़ी की जा रही है।"

 

 

 

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TAGS: Nitish Government, School On The Road Movement, CPI ML MLA, Manoj Manzil, Neeraj Jha, नीरज झा, Koilwar, Bhojpur, Ara, Bihar Education System
OUTLOOK 07 September, 2021
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