नीतीश सरकार पर हाईकोर्ट की टिप्पणी- बिना दिमाग के काम करती है सरकारी संस्थाएं?
बिहार के पटना हाईकोर्ट ने समस्तीपुर महिला कॉलेज से रिटायर हुए सेक्शन ऑफिसर रामनवल शर्मा को निचले पद का वेतनमान देने के मामले में नीतीश सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए गंभीर टिप्पणी की है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने एक रिट याचिका को अनुमोदित करते हुए यह आदेश दिया है।
हाई कोर्ट के जज ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कोर्ट की नजर में भारत के संविधान में परिभाषित कोई संस्था बिना दिमाग के कार्य नहीं कर सकती और राज्य ने अपनी त्रुटियों को सुधारने के बजाय शर्मनाक तरीके से उसका बचाव किया है। यह याचिका रामनवल ने अपने लिए सही वेतनमान और उसके आधार पर बकाया राशि के भुगतान का आदेश देने के लिए दायर की थी।
बता दें कि रामनवल शर्मा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले समस्तीपुर महिला कॉलेज के रोकड़पाल पद से साल 2011 में रिटायर्ड हो गए थे। जिसके बाद बिहार सरकार ने यूनिवर्सिटी में हेड असिस्टेंट और रोकड़पाल के पद को सेक्शन ऑफिसर का पद साल 2007 के प्रभाव से निर्धारिक किया था। जो उनके वर्तमान पद से निचले स्तर का पद था। कोर्ट ने इसे गलत
ठहराया है।