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27 October 2024

बिहार: पीके का निशाना

चर्चित चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नवनिर्मित जन सुराज पार्टी ने राज्‍य में होने वाले चार विधानसभा उपचुनावों में तरारी सीट से सेना के रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल श्रीकृष्‍ण सिंह को उम्‍मीदवार बनाकर सियासी हलचल पैदा कर दी है। वे बिहार से दूसरे बड़े चर्चित सैन्‍य अधिकारी रहे हैं और तरारी के करथ गांव के रहने वाले हैं। उनके पहले दिवंगत लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) एस.के. सिन्हा बेहद चर्चित हुए थे और सियासत  में पहली बार पटना लोकसभा सीट से निर्दलीय उतरे थे, हालांकि वे कामयाब नहीं रहे। बाद में उन्हें जम्‍मू-कश्‍मीर और असम का राज्‍यपाल बना दिया गया था।

प्रशांत किशोर ‍ने आगामी चारों उपचुनावों में अपने उम्‍मीदवार उतारे हैं और 2025 के विधानसभा चुनाव में बिहार की सभी 243 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। किशोर के न सिर्फ उम्‍मीदवारों के चयन, बल्कि अपनी पार्टी के पदाधिकारियों के चयन में भी नीतीश और लालू-तेजस्‍वी विरोधी रणनीति की झलक मिलती है। मार्च 2025 तक के लिए पार्टी का कार्यकारी अध्‍यक्ष मधुबनी के रहने वाले भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी तथा चार देशों में राजदूत रह चुके मनोज भारती को बनाया गया है। सभी चार सीटों पर विधानसभा उपचुनाव में अपने उम्‍मीदवारों के ऐलान और जीतने का भरोसा जताने के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि 2025 के चुनाव की झलक इसी उपचुनाव में दिख जाएगी।

यूं तो जन सुराज पार्टी कहती है कि वह जाति और धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगेगी, मगर प्रशांत किशोर मनोज भारती की जाति की चर्चा करना नहीं भूलते। दो अक्टूबर को पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में आयोजित रैली में प्रशांत ने मनोज भारती का परिचय करवाते हुए "दलित" शब्द पर खास जोर दिया था। वे दलितों को भी अच्‍छी संख्‍या में उम्‍मीदवार बनाने और हर संसदीय क्षेत्र में कम से कम एक महिला उम्‍मीदवार उतारने की बात कहते रहे हैं।

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जहां तक मुसलमानों की बात है, हाल के दशक में मोटे तौर पर भाजपा के खिलाफ एकतरफा वोटिंग का ट्रेंड रहा है, लेकिन भाजपा विरोधी दलों की उपेक्षा के कारण मुसलमानों में असंतोष होने के बावजूद विकल्‍पहीनता की स्थिति है। प्रशांत किशोर की नजर इसी पर है। वे मुस्लिम समुदाय से अच्‍छी संख्‍या में टिकट देने की बात करते रहे हैं। राजनीति में अल्‍पसंख्‍यकों की हिस्‍सेदारी पर वे कई कॉन्‍फ्रेंस कर चुके हैं। सितंबर के प्रारंभ में पटना के बापू सभागार में जन सुराज के कार्यक्रम 'राजनीति में मुसलमानों की भागीदारी' में प्रशांत किशोर ने आबादी के हिसाब से हिस्‍सेदारी के जिक्र के साथ बिहार की 40 विधानसभा सीटों पर मुसलमान उम्‍मीदवार उतारने का ऐलान किया था। उन्‍होंने यह भी ऐलान किया था कि पार्टी का नेतृत्‍व 25 लोगों की टीम करेगी जिसमें चार-पांच मुसलमान होंगे। उसके पहले वे 75 सीटों पर मुसलमानों को उतारने की बात कह चुके हैं। पूर्व मंत्री मोनाजिर हसन, जनता दल राष्‍ट्रवादी के राष्‍ट्रीय संयोजक रहे तथा धार्मिक संस्‍थाओं में गहरी पैठ रखने वाले अशफाक रहमान, जैसे कई अल्‍पसंख्‍यक चेहरों को वे अपने साथ जोड़ चुके हैं। इससे वोटों की उनकी घेरेबंदी को समझा जा सकता है। इसीलिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) में विशेष बेचैनी है।

पिछला लोकसभा चुनाव उदाहरण है जब पूर्णिया, वैशाली, औरंगाबाद और काराकाट में पार्टी की प्रतिबद्धता किनारे पड़ गई और जाति का जोर मजबूत साबित हुआ, लेकिन चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव एक परीक्षा है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में स्‍पष्‍ट होगा कि दूसरों की जीत की गारंटी करने वाले पीके अपनी पार्टी के लिए क्‍या कर पाते हैं।

दो साल पहले गांधी जयंती पर चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से समूचे राज्‍य की अपनी पदयात्रा शुरू करते हुए प्रशांत ने अपने भाषण में कहा था, ''मेरे कड़े आलोचकों को भी पता है कि प्रशांत किशोर को कुछ आए या नहीं लेकिन चुनाव लड़ाना आता है। जिसका भी हाथ पकड़कर चुनाव लड़वाएंगे सामने वाले का दांत खट्टा हो जाएगा।’’ तब से प्रशांत किशोर प्रदेश में गांव-गांव पैदल घूमकर पांच हजार किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर चुके हैं। इस बार गांधी जयंती पर उन्होंने अपनी जन सुराज पार्टी की स्‍थापना की घोषणा की। उनके निशाने पर मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार और राजद के लालू प्रसाद यादव बराबर हैं, हालांकि भाजपा पर उनके प्रहार उतने तीखे नहीं हैं। वे पूरी पदयात्रा में अपने भाषणों में लगातार कहते रहे हैं, ‘‘आपने देखा कि लालू आए, नीतीश आए लेकिन कुछ भी नहीं बदला। मैं आपसे वोट मांगने नहीं आया हूं। इसलिए आया हूं कि आप अपने बीच से अच्‍छे लोगों को चुनकर निकालिए और उन्‍हें वोट दीजिए ताकि आपके बच्‍चों को बिहार छोड़कर नहीं जाना पड़े।''

प्रशांत किशोर कोई दस हजार करोड़ रुपये की कंपनी इंडियन पॉलिटिकल ऐक्‍शन कमेटी (आइपैक) के मालिक रहे हैं। करीब एक दशक तक वे तकरीबन हर किस्म की राजनीति करने वाले दलों के लिए वोट प्रबंधन का काम करते रहे हैं। उनकी शुरुआत 2013 में नरेंद्र मोदी के भाजपा का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने से दो साल पहले ही हो गई थी जब मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री का चुनाव लड़ रहे थे और उन्होंने किशोर की सेवाएं ली थीं। मोदी को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने में मदद देने के दो साल बाद किशोर ने सिटिजंस फॉर अकाउंटेबल कैम्पेन नाम का एक चुनाव प्रचार समूह बनाकर मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के अभियान की कमान संभाली। उसके बाद से वे राजद, जदयू, आम आदमी पार्टी से लेकर आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आदि के दलों के अपनी पेशेवर सेवाएं दे चुके हैं। वे खुद कहते हैं कि 2011 से 2021 के बीच उन्हें 11 चुनाव लड़ाने का अवसर मिला, मगर 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव को छोड़कर किसी में वे नाकाम नहीं हुए।

उनके आलोचकों का कहना है कि कंपनी चलाना एक बात है और राजनैतिक पार्टी चलाना बिलकुल दूसरी बात, लेकिन प्रशांत को लगता है कि दूसरों के लिए रणनीति बनाने से बेहतर है कि अपनी पार्टी बनाकर सत्ता में आने की  कोशिश की जाए। इसीलिए वे ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं जिससे खासकर जदयू और राजद के समर्थकों में असंतोष घुमड़ रहा है। इन मुद्दों में सबसे बड़ा शराबबंदी को हटाने का उनका ऐलान है जिसकी चौतरफा आलोचना हो रही है। उनका कहना है कि शराब की बिक्री से आने वाले  20 हजार करोड़ रुपये के राजस्‍व से वे राज्‍य में शिक्षा की सूरत बदल देंगे। इसके अलावा गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने की भी उनकी अलग योजनाएं हैं। महिलाओं को आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए चार प्रतिशत ब्‍याज पर कर्ज और बुजुर्गों को दो हजार रुपये पेंशन उनकी योजनाओं का हिस्‍सा हैं।

आज नीती‌श पर निशाना साध रहे प्रशांत ने 2015 में जदयू और राजद के महागठबंधन के लिए चुनावी रणनीति बनाने की जिम्‍मेदारी संभाली थी। प्रशांत ने ही कथित तौर पर नीतीश के सात निश्‍चय और विकास की गारंटी का नारा जनता तक पहुंचाया और उन्हें कामयाबी दिलाई, जिसके चलते नीतीश उनसे इस कदर प्रभावित हुए कि उन्‍हें अपना सलाहकार बना लिया। 2016 में प्रशांत ने पंजाब चुनाव में कांग्रेस  को अपनी सेवाएं दीं। वहां कांग्रेस सत्‍ता में लौट आई। फिर 2017 में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने दोबारा प्रशांत को आजमाया, लेकिन वहां उन्‍हें विफलता मिली। उसी साल वाइएस जगनमोहन रेड्डी के लिए उन्होंने चुनावी प्रबंधन की और आंध्र प्रदेश की 175 में 151 विधानसभा सीटों पर जगन को जीत दिलवाकर वाइएसआरसीपी की सत्ता में वापसी करवाई। फिर 2020 में प्रशांत ने आम आदमी पार्टी को दिल्ली में सेवाएं दीं और  2021 में ममता बनर्जी के साथ बंगाल में तथा एमके स्‍टालिन के लिए तमिलनाडु में काम किया। बिहार में सियासी हलकों में चर्चा है कि प्रशांत कहीं भाजपा की ओर से तो नहीं खेल रहे हैं।

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TAGS: Prashant Kishore, contest Elections, Jan Suraj Party
OUTLOOK 27 October, 2024
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