केंद्र ने सभी राज्यों को भेजा पत्र, कहा- एससी और एसटी के खिलाफ अपराधों में प्राथमिकी तुरंत करे दर्ज
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराधों के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए और ऐसे मामलों की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए जहां जांच दो महीने से अधिक हो जाती है।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए पत्र में गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति। के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए पुलिस अधिकारियों और आधिकारिक गवाहों सहित अभियोजन पक्ष के सभी गवाहों की समय पर उपस्थिति और सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
खबरों के मुताबिक सरकार ने कहा है कि एससी और एसटी के खिलाफ अपराधों के मामलों में एफआईआर दर्ज करने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। एससी और एसटी के खिलाफ अपराधों के उचित स्तर पर प्राथमिकी दर्ज करने से लेकर सक्षम अदालत द्वारा मामले के निपटारे तक उचित पर्यवेक्षण सुनिश्चित करें।
गृह मंत्रालय ने कहा कि जांच में देरी (एफआईआर दर्ज करने की तारीख से 60 दिनों से अधिक) की निगरानी हर तीन महीने में जिला और राज्य स्तर पर की जाएगी, और जहां भी आवश्यक हो, जांच की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए विशेष डीएसपी नियुक्त किए जाएंगे।
गृह मंत्रालय ने कहा कि एससी और एसटी समुदायों के सदस्यों के जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए निवारक उपाय करने के लिए अत्याचार-प्रवण क्षेत्रों की पहचान की जा सकती है। ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस थानों में पर्याप्त संख्या में पुलिस कर्मियों की तैनाती की जानी चाहिए, जो पूरी तरह से पुलिस के बुनियादी ढांचे से लैस हों।