कोरोना काल में शिक्षकों की भूमिका चुनौतीपूर्ण, रूचिकर शिक्षा के जरिए बच्चों को जोड़ना जरूरीः सौम्यानुरूप
कोरोना काल में शिक्षकों की भूमिका अहम हो गई है क्योंकि ऑनलाइन शिक्षण के जरिए बच्चों को रूचिकर शिक्षा के जरिए जोड़े रखना चुनौती पूर्ण है। कई शिक्षक इस चुनौती पूर्ण कार्य को अनूठे तरह से अंजाम दे रहे हैं। इसे दिल्ली के विवेक विहार स्थित अर्वाचीन भारती भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल की हेड मिस्ट्रेस सौम्यानुरूप शर्मा ने बखूबी अंजाम दिया है। उनके इस सहारनीय कार्य के लिए दिल्ली सरकार ने उन्हें राज्य शिक्षक पुरस्कार से नवाजा है।
शिक्षिका सौम्यानुरूप कहती हैं, ‘हमने कोरोना काल में बच्चों को पीपीटी, ऑडियो विजुअल के जरिए मनोरंजक तरीके से पढ़ाने की कोशिश की है। व्हाट्सअप के जरिए बच्चे खेलने-खेलते पढ़ते थे लेकिन मेरा मानना है कि बच्चों को समझकर पढ़ाना चाहिए। इसके लिए हमने बच्चों के लिए उसी तरह का वर्कशीट्स बनाईं। अंग्रेजी की शिक्षिका होने के नाते बच्चों को इसे बोलने पर फोकस दिया जिसके बेहतर नतीजे आए।‘
उनका कहना है कि मेरी पहली शिक्षिका मां डा उर्मिला शर्मा और पिता अनुरूप शर्मा हैं जिनका मुझे बचपन से ही मार्गदर्शन मिला और मैं इस मुकाम पर पहुंची। दिलचस्प है कि उनकी मां को भी 2004 में राजय शिक्षक पुरस्कार मिल चुका है। सौम्या का कहना है कि कोरोना काल में शिक्षकों को रूचिकर तरह से अध्यापन के तरीके विकसित करने चाहिए। पहले हमें बच्चों को समझना चाहिए और उसी के अऩुरूप शिक्षा देनी चाहिए।