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07 October 2023

महिलाओं से जुड़े मामलों में अदालतों से संवेदनशील होने की उम्मीद : न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामलों में अदालतों से संवेदनशील होने की उम्मीद की जाती है। इसी के साथ शीर्ष अदालत ने एक व्यक्ति और उसकी मां की अपीलों को खारिज कर दिया।व्य क्ति को निचली अदालत ने अपनी पत्नी के प्रति क्रूर व्यवहार का दोषी करार दिया था। व्यक्ति ने इस फैसले को चुनौती दी थी। पीड़िता की जहर से मौत हो गई थी।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अदालतों से उम्मीद की जाती है कि वे प्रक्रिया संबंधी तकनीकी खामियों, लापरवाह जांच या सबूतों में महत्वहीन खामी के आधार पर अपराधियों को बचने नहीं दें क्योंकि अपराधी के दंडित नहीं होने पर पीड़ित पूरी तरह से हतोत्साहित हो जाएंगे।

न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने शुक्रवार को दिए अपने फैसले में कहा, ‘‘अदालतों से महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में संवेदनशील होने की उम्मीद की जाती है।’’शी र्ष अदालत ने यह फैसला दो दोषियों की अपील पर सुनाई जिन्होंने मार्च 2014 में उत्तराखंड उच्च न्यायाय द्वारा दिए फैसले को चुनौती दी थी।

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उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था, जिसने 2007 में दर्ज मामले में मृतका के पति और सास को दोषी ठहराया था। पति, बलवीर सिंह को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और 498-ए (विवाहित महिला के साथ क्रूरता) के तहत दोषी करार दिया गया था जबकि मृतका की सास को आईपीसी की धारा 498-ए (किसी महिला के साथ पति या पति के रिश्तेदार द्वारा क्रूरता) के तहत दोषी करार दिया गया था।

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TAGS: Supreme court, Women Affairs, Uttrakhand High Court, Women in Court
OUTLOOK 07 October, 2023
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