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05 October 2022

आवरण कथा/मीमः वायरल का नया फंडा

कंपनियों, सितारों और राजनैतिक दलों की बढ़ती दिलचस्पी गवाह है कि आगे का दौर उसी का”


भारत और पाकिस्तान के बीच 2019 वर्ल्ड कप का मैच। भारत, पाकिस्तान को करारी शिकस्त देता है और मोमिन साकिब नाम के एक पाकिस्तानी लड़के का मीम वायरल होता है...‘एकदम से वक्त बदल दिया, जज्बात बदल दिए, जिंदगी बदल दी।’ साकिब को 2019 में कोई नहीं जानता था लेकिन एक मीम वायरल क्या हुआ, उन्हें पाकिस्तान के टीवी सीरियल में काम करने का न्योता मिलने लगा। इंस्टाग्राम पर साकिब के फॉलोअर सीधे हजार से लाखों में पहुंच गए। यही नहीं, एक मीम की वजह से आज उन्हें विराट कोहली और हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ी भी देखते ही पहचान जाते हैं। यही मीम की असली ताकत है। एक अदना-सा मीम रातोरात आपकी जिंदगी और वक्त बदल सकता है। एक मीम आपको वह पहचान दिला सकता है जो बड़े-बड़े सितारों को दशकों की मेहनत के बाद भी नसीब नहीं होती। एक मीम आपको चंद लम्हों में फर्श से अर्श तक पहुंचा सकता है। 2016 में टाइम्स पत्रिका की सबसे प्रभावशाली किशोरों में शामिल, अमेरिका की जानी-मानी अभिनेत्री स्काई जैक्सन कहती हैं, ‘‘लोग मुझे ऐसे मिलते हैं, ‘ओह, तुम वह लड़की हो जिसे हमने मीम में देखा है?’ यह मजेदार है कि कभी-कभी लोग मुझे मेरे टीवी शो से नहीं, बल्कि मेरे ऊपर बने मीम के वजह से पहचानते हैं।’’ मीम के बारे में अब यह कहा जाने लगा है कि सूर्य की रोशनी को धरती पर गिरने में भले ही 8.3 मिनट लगते हों, लेकिन मीम यह काम एक मिनट में ही कर देगा।

भारत में ऐसे कई लोग हैं जिन पर वायरल मीम ने उन्हें इतना लोकप्रिय बना दिया कि उनके दीवाने आज लाखों और करोड़ों में हैं। सबसे बड़ा उदाहरण प्रिया प्रकाश वारियर, रानू मंडल, डांसिंग अंकल के नाम से मशहूर संजीव श्रीवास्तव, ‘बचपन का प्यार’ गाने से वायरल हुए सहदेव और ‘देख रहा है न बिनोद’ मीम से पॉपुलर हुए दुर्गेश कुमार और अशोक पाठक हैं। पंचायत में बिनोद का किरदार निभाने वाले अभिनेता अशोक पाठक आउटलुक से कहते हैं, ‘‘पंचायत का मेरा किरदार इतना वायरल हुआ कि अब लोग मुझे मेरे नाम से नहीं, बल्कि बिनोद के नाम से पुकारते हैं। मीम के जरिये मुझे पॉपुलिरिटी मिली। जिन लोगों ने यह वेब सिरीज नहीं देखी है, अब वे भी मुझे पहचान जाते हैं। यह सिर्फ मीम से संभव हुआ।’’ ऐसा ही कुछ दुर्गेश कुमार भी कहते हैं। उनका मानना है कि मीम ने उन्हें घर-घर पहुंचा दिया। मीम की शुरुआत जबसे हुई है, सब कुछ बदल गया है। लोग अब चाय के साथ सास-बहू के सीरियल या कोई फिल्म नहीं, बल्कि मीम देखते हैं। यही नहीं, बड़ी-बड़ी कंपनियों के मार्केटिंग के तरीकों में भी बदलाव आया है। 21वीं शताब्दी में ‘इंफोटेनमेंट’ की सबसे बड़ी मिसाल मीम बन चुका है।

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अथ मीम कथा

मीम की शुरुआत कब हुई और दुनिया की पहली मीम कौन-सी है, इसको लेकर बहस-मुबाहिसे चलते रहते हैं। किसी के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि पहली बार मीम किसने बनाया, हालांकि ‘मीम’ शब्द की पहली सटीक परिभाषा पैट्रिक डेविसन के 2009 के निबंध द लैंग्वेज ऑफ इंटरनेट मीम्स में देखने को मिलती है। वे कहते हैं, ‘‘इंटरनेट मीम एक संस्कृति का टुकड़ा है जो आम तौर पर मजाकिया होता है और अपना प्रभाव ऑनलाइन प्रसारण के माध्यम से प्राप्त करता है।’’ अगर ‘मीम’ शब्द की उत्पत्ति की बात करें तो इसकी जड़ ग्रीक के शब्द ‘मिमेमा’ से जुड़ी है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- इमिटेशन या नकल करना। आम धारणाओं के अनुसार विकासवादी जीवविज्ञानी रिचर्ड डॉकिन्स ने 1976 की अपनी बेस्टसेलिंग किताब द सेल्फिश जीन में पहली बार ‘मीम’ शब्द गढ़ा। उन्होंने एक विचार, व्यवहार या शैली का वर्णन करने के लिए मीम शब्द का इस्तेमाल किया, जो किसी संस्कृति में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है। अपनी पुस्तक में उन्होंने मीम के प्रसार की तुलना किसी वायरस से की थी।

डॉकिन्स को उस वक्त इसके भविष्य के इंटरनेट से संबंधित संदर्भ का कोई पता नहीं था, लेकिन दशकों बाद उन्होंने डिजिटल दुनिया में मीम शब्द के प्रयोग का समर्थन किया और कहा कि नया अर्थ उनकी मूल व्याख्या से ज्यादा अलग नहीं है, हालांकि उन्होंने मीम की किताबी व्याख्या की है। मीम की दुनिया में काम करने वाले और वन प्लस, ओएलएक्स और फेसबुक जैसी कंपनियों की मीम मार्केटिंग कर चुके मनीष जालान आउटलुक से कहते हैं, ‘‘मीम को लेकर सबसे बड़ी गलतफहमी यह है कि लोग इसे सिर्फ फनी कंटेंट समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। कोई भी स्टेटिक इमेज मीम होती है, बिल्कुल वैसे ही जैसे 15 सेकेंड के वीडियो को हम रील के नाम से जानते हैं।’’ भारत में मीम की शुरुआत 2000 के दशक में हुई, जब सोशल मीडिया नेटवर्क ने लोगों की रुचि की सामग्री के लिए रास्ता खोल दिया। उसके बाद ही रजनीकांत वर्सेस सीआइडी जोक्स (आरवीसीजे), द एनिजिनियर ब्रो, सर्काज्म, सर्कास्टिक इंडिया और मीम मंदिर जैसे पेज बने, जो बाद में भारतीय मीम क्रांति के मुख्य सूत्रधार हुए। मीम के शुरुआती दिनों में जितने भी लोग फेसबुक पेज पर मीम बनाते थे, वे आज लाखों-करोड़ों की मीम मार्केटिंग कंपनी खोल मुनाफा कमा रहे हैं।

पहले का मीम आज के मीम से बिल्कुल अलग था। बीबीसी के अनुसार, पहली बार मीम 1921 में एक व्यंग्य पत्रिका द जज के कॉलम में निकला। पत्रिका ने एक फ्रेम में ‘उम्मीद बनाम हकीकत’ (एक्सपेक्टेशन वर्सेज रियलिटी) की तस्वीर लगाई थी। एक कैप्शन में लिखा था, ‘आप फ्लैशलाइट में कैसे दिखते हैं’, जबकि दूसरे में कैप्शन लिखा था,‘आप हकीकत में कैसे दिखते हैं।’ आज भी वह मीम टेम्पलेट सर्वाधिक यूज किए जाने वाले टेम्पलेटों में से एक है। इंटरनेट पर पहला मीम 1996 तक सामने नहीं आया। 2000 के बाद से भारत में मीम ने रफ्तार पकड़ी लेकिन तब अधिकांश लोग यह तक नहीं जानते थे कि आखिर मीम क्या है।

गूगल ट्रेंड्स के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि मीम 2013 से धीरे-धीरे भारत में लोकप्रियता हासिल करने लगा और 2018 में जोमाटो और स्विगी जैसे ब्रांड ने इसके प्रचलन में तेजी बढ़ाई। कोरोना महामारी के दौरान सोशल मीडिया पूरी तरह से ‘मीम-मय’ हो गया। महामारी के दौरान ही युवाओं के बीच ‘मीम योर फ्रूस्टेशन’ जैसा वाक्य कूल सिंबल बन गया। भारत में मीम को शुरुआती दिनों में बढ़ावा देने वाले पेज रजनीकांत वर्सेस सीआइडी जोक्स, जिसका नाम अब आरवीसीजे हो गया है, के सह-संस्थापक अजीज खान आउटलुक से कहते हैं कि लॉकडाउन मीम मार्केट के लिए वरदान साबित हुआ। उनका कहना है कि जब लोग घरों में पूरी तरह से कैद हो गए थे, तब उन्होंने मीम को मनोरंजन का सबसे बड़ा जरिया बनाया।

कैसे बनता है मीम?

मीम की लोकप्रियता इतनी है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को जन्मदिन की शुभकामनाएं मीम के जरिये देते हैं। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और टेस्ला के मालिक एलन मस्क अक्सर ट्विटर पर मीम शेयर करते रहते हैं। अभिनेत्री नोरा फतेही खुद को ‘मीम क्वीन’ बता चुकी हैं। सोशल मीडिया यूज करने वाला कोई भी ऐसा आदमी नहीं होगा जिसने जाने-अनजाने में अपने दोस्तों को मीम फॉरवर्ड नहीं किया होगा। मीम बनने का एकमात्र मूल मंत्र ‘कैच द ट्रेंड ऐंड मेक मीम’ है। बड़े-बड़े ब्रांड खुद को ट्रेंड में बनाए रखने के लिए मीम बनवाते हैं। मीम का जलवा इतना बढ़ चुका है कि कंपनियां अब मीम ऑफिसर हायर करने लगी हैं, जिनका काम सोशल मीडिया के ट्रेंड पर नजर रखना और मीम बनाना होता है या एक तरह से कंपनियों की मीम मार्केटिंग करना होता है। स्लाइस क्रेडिट कार्ड के चीफ मीम ऑफिसर गर्व मलिक आउटलुक से कहते हैं, ‘‘हम सब सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। हमारी नजर मीडियम और लोअर लेवल के मीम क्रिएटर्स पर होती है। हम उन्हें देखते हैं कि वे किस थीम पर मीम बना रहे हैं। हम उसी स्पॉट को पकड़ते हैं, जो ट्रेंड हो सकता है और उस पर मीम बनाना शुरू कर देते हैं।’’ अजीज कहते हैं, ‘‘मीम बनने के कई पहलू हैं, लेकिन सबसे बड़ा यह है कि वायरल क्या हो रहा है? अगर कोई वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होती है तो उस पर मीम बनना शुरू हो जाएगा, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि ब्रांड खुद हमसे संपर्क करते हैं और खुद पर मीम बनाने को कहते हैं।’’

मीम मार्केटिंग कंपनी सोशलमेट के संस्थापक सुरील जैन कहते हैं, ‘‘मीम बनने के लिए हमारे पास 20 लोगों की टीम है, जो कंटेंट और मार्केट ट्रेंड का रिसर्च करती है। अगर कोई फिल्म आती है या कोई ट्रेलर रिलीज होता है तो उसमें से हम एक छोटा-सा हिस्सा निकाल लेते हैं। उस छोटे से क्लिप में पोटेंशियल होता है कि वह ट्रेंड हो सके।’’ ओटीटी पर रिलीज होने वाली फिल्मों या सिरीज के क्लिप को मीम बनाकर सुनियोजित तरीके से वायरल कराया जाता है। इसकी शुरुआत सेक्रेड गेम्स से हुई थी और आज सभी करीब 90 फीसदी ओटीटी कंपनियां इस अचूक हथियार का इस्तेमाल करती हैं।

मीम का भविष्य?

मेटा के स्वामित्व वाले एक प्लेटफॉर्म ने 2019 में ग्लोबल मीम समिट आयोजित किया था। इस शिखर सम्मेलन ने मार्क जुकरबर्ग और इंस्टाग्राम के हेड ऑफ प्रोडक्ट विशाल शाह भी शामिल हुए। इस सम्मेलन में सभी वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि भविष्य में मीम के पास अनंत संभावनाएं हैं। भारत में जितने भी मीम क्रिएटर हैं, उनका यही मानना है कि भारत में मीम की अभी शुरुआत भर हुई है और आगे की राह उज्ज्वल है। भारत में मीम के प्रति बढ़ते क्रेज का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारतीय स्मार्टफोन उपयोगकर्ता प्रतिदिन 30 मिनट मीम देखने में खर्च करते हैं। स्ट्रेटजी कंसलटेंसी फर्म रेडसीर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वर्ष की तुलना में इस साल मीम की खपत में 80 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। वहीं, डिजिटल मार्केटिंग सॉल्यूशन कंपनी आइक्यूबस्वायर के संस्थापक और सीईओ साहिल चोपड़ा का कहना है कि मीम इंप्रेशन अगस्त 2019 में 1.98 करोड़ से बढ़कर जुलाई 2020 में 2.49 करोड़ हो गया है। इंटरनेट मीम की सर्वव्यापकता इसी से पता चलती है कि सफल क्रिप्टोकरेंसी डोजकॉइन मूल रूप से ‘डोज’ मीम के आधार पर एक मजाक के रूप में बनाई गई थी। स्लाइस के चीफ मीम ऑफिसर गर्व मलिक कहते हैं, ‘‘दुनिया भर में दो क्रिप्टोकरेंसी (डोज और शिबू) है, जिनका फंडामेंटल पूरी तरह से मीम पर आधारित है। आज इन दोनों का मार्केट कैप 15 बिलियन का है। अकेले, डोजकॉइन का कुल बाजार पूंजीकरण जोमैटो के मार्केट कैप के बराबर है।’’

सोशल मीडिया पर मीम के असर से कुछ भी अछूता नहीं है। कभी भी और किसी भी चीज पर मीम चुटकियों में बन सकता है और इससे भी कम समय में वह वायरल हो सकता है। वायरल मार्केटिंग का सबसे बड़ा हिस्सा मीम मार्केटिंग बन चुका है। एक जमाना था जब मीम को मात्र अजीबोगरीब तस्वीरें माना जाता था, जिसके जरिये इंटरनेट पर मनोरंजन किया जाता है, लेकिन आज मीम रोजमर्रा के सोशल मीडिया संवाद का हिस्सा बन चुका है जिसे हर मिनट इस्तेमाल और साझा किया जाता है। भारत की सबसे बड़ी मीम कंपनी के संस्थापक काइल फर्नांडिस कहते हैं, ‘‘जो लोग सोचते हैं मीम मात्र एक ट्रेंड है और जल्द खत्म हो जाएगा, वे गलत हैं। उन्हें यह समझने की जरूरत है कि मीम ट्रेंड नहीं है, बल्कि इसकी वजह से ट्रेंड बनता है।’’ मीम की लोकप्रियता, मीम के जरिये मार्केटिंग के प्रति बढ़ती दिलचस्पी की वजह से वह वक्त अब दूर नहीं जब मार्केटिंग के जरिये किसी ब्रांड को लोकप्रिय बनाने के लिए यह वाक्य प्रयोग होने लगे कि ‘लेट्स मीम योर ब्रांड।’

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OUTLOOK 05 October, 2022
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