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13 October 2023

सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी डार्विन और आइंस्टीन के सिद्धांतों को चुनौती, न्यायालय ने किया खारिज

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत और द्रव्यमान और ऊर्जा की समतुल्यता व्यक्त करने वाले आइंस्टीन के विशेष सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि वैज्ञानिक सिद्धांतों को चुनौती देने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर नहीं की जा सकती।

पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता साबित करना चाहता है कि डार्विन का विकासवाद का सिद्धांत और आइंस्टीन का सिद्धांत गलत हैं और वह इस उद्देश्य के लिए एक मंच चाहता है।’’ डार्विन द्वारा प्रस्तावित विकासवाद का सिद्धांत कहता है कि सभी जीवित प्राणी प्राकृतिक चयन के माध्यम से विकसित हुए हैं। आइंस्टीन का एक प्रसिद्ध समीकरण कहता है कि ऊर्जा और द्रव्यमान (पदार्थ) विनिमेय हैं।

जब जनहित याचिका सुनवाई के लिए पीठ के समक्ष आई तो भगवा वस्त्रों में राजकुमार नामक एक व्यक्ति अदालत कक्ष में आया और कहा कि उसने स्कूल और कॉलेज में डार्विन और आइंस्टीन के सिद्धांत के बारे में पढ़ा है, लेकिन उसने पाया कि उसने जो पढ़ा वह गलत है। तब पीठ ने कहा, ‘‘तो आप अपना सिद्धांत प्रतिपादित कीजिए। उच्चतम न्यायालय क्या कर सकता है? आप कह रहे हैं कि आपने स्कूल में कुछ पढ़ा। आप विज्ञान के छात्र रहे हैं। अब आप कह रहे हैं कि सिद्धांत गलत हैं। अगर आपको ऐसा लगता है तो उच्चतम न्यायालय इसमें कुछ नहीं कर सकता। अनुच्छेद 32 के तहत आपके मौलिक अधिकार का उल्लंघन कैसे है।’’

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TAGS: Supreme Court, Indian, darwin theory, Einstein's theories
OUTLOOK 13 October, 2023
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