2020 में 6.2% ज्यादा हुआ था मृत्यु पंजीकरण, नीति आयोग बोला- सिर्फ कोविड के कारण हुई मौतों से नहीं बढ़ी संख्या
सरकार ने मंगलवार को जन्म और मृत्यु रिपोर्ट के आधार पर नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) रिपोर्ट 2020 प्रकाशित की। आरजीआई की रिपोर्ट 'नागरिक पंजीकरण प्रणाली पर आधारित भारत की महत्वपूर्ण सांख्यिकी 2020' के अनुसार, पंजीकृत मौतों की संख्या 2019 में 76.4 लाख थी जो 6.2 प्रतिशत बढ़कर 2020 में 81.2 लाख हो गई।
इस मुद्दे पर नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा है कि अब जबकि सभी कारणों से अधिक मौतों की वास्तविक संख्या उपलब्ध है, शुद्ध अनुमानों और मॉडलों पर आधारित अनुमान लगाने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने बताया कि 2018 की तुलना में 2019 में 6.9 लाख अधिक लोगों की मृत्यु हुई।
पॉल ने हाल ही में कहा था कि 2019 की तुलना में 2020 में मृत्यु पंजीकरण में वृद्धि केवल कोविड के कारण हुई मौत से नहीं हुई है और कुछ एजेंसियों द्वारा भारत के संबंध में कोविड से हुई मौतों की ‘अत्यधिक’ संख्या प्रकाशित किए जाने को रोका जाना चाहिए।
सीआरएस अध्ययन अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत ने हाल ही में देश में कोविड से हुई मृत्यु का अनुमान लगाने वाली विश्व स्वास्थ्य संगठन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था। भारत ने कहा था कि इस तरह के गणितीय मॉडलिंग के आधार पर भारत में हुए मृत्यु का सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कोविड के लिए स्थापित एक मजबूत निगरानी प्रणाली के आधार पर आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2020 में कोविड के कारण होने वाली मृत्यु 1.49 लाख थी। पॉल ने कहा, 'राज्यों द्वारा मौत की संख्या को भी ठीक से गिना जा रहा है। यह एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली है।'
उनके अनुसार, अधिक मृत्यु पंजीकरण इसलिए भी हो रहा है क्योंकि लोग जागरूक हैं, लोगों को संपत्तियों और अन्य उद्देश्यों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता है। पॉल ने कहा, 'आमतौर पर संचालन में आसानी और डिजिटलीकरण के कारण, लोग आगे आ रहे हैं। जनसंख्या का आकार भी हर साल अधिक मौतों में योगदान देता है।'
उन्होंने बताया कि मृत्यु दर में गिरावट और कोई प्रकोप नहीं होने के बावजूद पिछले वर्षों में अधिक मृत्यु पंजीकरण वृद्धि देखी गई है। उन्होंने कहा, 'इसलिए, हमें यह याद रखना चाहिए कि अतिरिक्त मौतें कोविड-19 के कारण नहीं हैं, बल्कि इसके अन्य कारण भी हैं।'