कौन था रंजय सिंह, जिसकी पत्नी और पिता से एसआटी ने पूछा- कोई धमकी तो नहीं देता
धनबाद के एडीजे उत्तम आनंद की सड़क दुर्घटना के नाम पर कथित हत्या के बाद से रंजन सिंह का नाम सूर्खियों में है। दरअसल यह धनबाद में कभी सबसे शक्तिशाली पावर सेंटर रहे डॉन सूर्यदेव सिंह के परिवार का खास था। पहले दिन से मीडिया में खबर चलती रही कि वे रंजय सिंह हत्याकांड के मामले की सुनवाई कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के कारण मामले को सुलझाने की दिशा में पसीना बहा रही एसआइटी की टीम ने धनबाद थाना बुलाकर रंजय सिंह के पिता और पत्नी को बुलाकर रंजय हत्याकांड के बारे में पूछताछ की। यह भी पूछा कि हत्या के बाद कोई परिवार के लोगों को धमकी तो नहीं देता। पुलिस ने और भी आवश्यक पूछताछ की।
बता दें कि धनबाद के माफिया डॉन के रूप में ख्यात कोल किंग सूर्यदेव सिंह के कुनबे से जुड़ा था। उनके बेटे पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह का राई हैंड था। सूर्यदेव सिंह परिवार से रंजय का पुराना रिश्ता रहा। पहले वह सूर्यदेव के बड़े पुत्र राजीव रंजन के साथ कोयले के कारोबार में जुड़ा था। राजीव दशकों से लापता है। कहा जाता था कि कोयलांचल का सबकुछ सूर्यदेव सिंह की कोठी से ही प्रभावित होता था। बाद में सत्ता और प्रभाव की लड़ाई में सिंह मेंशन का कुनबा बिखर गया। दो भाई सूर्यदेव सिंह और रामाधीर सिंह, सिंह मेंशन में रह गये (दोनों की पत्नी सहोदर बहन थीं)। जबकि दो अन्य भाई बच्चा सिंह और सबसे छोटे भाई राजन सिंह का परिवार अलग रघुकुल में रहने लगे। सिंह मेंशन और रघुकुल में प्रभाव को लेकर टकराव चलता रहा। गैंगवार होते रहे। इसी कड़ी में 2017 जनवरी में संजीव सिंह के खास रंजय सिंह को रघुकुल के सामने गोलियों से छलनी कर दिया गया तो दो माह बाद मार्च महीने में सिंह मेंशन के सामने राजन सिंह के बेटे और धनबाद के उप महापौर नीरज सिंह की चार लोगों के साथ दिन दहाड़े हत्या कर दी गई।
माना जाता है कि यह बदले की कार्रवाई थी। नीरज सिंह हत्याकांड में ही विधायक रहते हुए संजीव सिंह को जेल जाना पड़ा। अभी भी जेल में हैं। 2016 के अक्टूबर में रंजय सिंह ने सद्भाव आउटसोसिंग में नीरज सिंह पर फायरिंग की घटना भी चर्चा में रही थी। इनके जेल में रहते ही पत्नी रागिनी सिंह को रघुवर शासन के दौरान भाजपा का टिकट मिला तो नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिया सिंह को कांग्रेस का। पूर्णिमा सिंह ने रागिनी को पराजित कर दिया। झरिया सीट का महत्व ऐसा कि पांच-सात साल के कालखंड को छोड़ दें तो सूर्यदेव सिंह के परिजनों का ही कब्जा रहा। बहरहाल रंजय हत्याकांड की सुनवाई करते हुए रंजय हत्या से जुड़े बड़े आरोपी की जमानत याचिका खारिज की थी। इसी के चार दिनों के बाद ही इनकी कथित सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। इसलिए शक की सुई दूसरे महत्वपूर्ण मुकदमों के साथ इधर भी घूम रही है। बहरहाल बुधवार को सीबीआइ ने झारखण्ड सरकार की सिफारिश और केंद्र की अधिसूचना के बाद केस दर्ज कर लिया है।