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30 May 2025

शिक्षा मंत्रालय की चिंता, "सरकारी स्कूलों में घटता नामांकन, निजी स्कूलों की बढ़ती लोकप्रियता"

शिक्षा मंत्रालय की एक हालिया रिपोर्ट ने देश में स्कूली शिक्षा के बदलते रुझान पर गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट के मुताबिक कई राज्यों में सरकारी स्कूलों में नामांकन में गिरावट दर्ज की गई है, जबकि निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खास तौर पर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों में यह प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से देखी जा रही है।

उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश में कुल 61,373 स्कूल हैं, जिनमें 45,000 सरकारी हैं यानी लगभग 73%। लेकिन नामांकन के आंकड़े चौंकाते हैं — सरकारी स्कूलों में सिर्फ 46% छात्र पढ़ते हैं, जबकि निजी स्कूलों में 52% से अधिक नामांकन है। इसी तरह तेलंगाना में 70% स्कूल सरकारी हैं, लेकिन इनमें सिर्फ 38.11% छात्र पढ़ते हैं और 60.75% छात्र निजी स्कूलों में जा रहे हैं। यह अंतर दर्शाता है कि आम जनता का भरोसा सरकारी स्कूलों से हटता जा रहा है।

शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे इस गिरावट के कारणों का विश्लेषण करें और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह रुझान पीएम-पोषण (मिड-डे मील) योजना जैसे कार्यक्रमों पर भी असर डाल सकता है, क्योंकि इनका लाभ तभी प्रभावी होता है जब सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या पर्याप्त हो।

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विशेषज्ञों का मानना है कि इस ट्रेंड के पीछे कई वजहें हो सकती हैं — जैसे सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की अनुपलब्धता, बुनियादी ढांचे की कमी, शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट और माता-पिता की बढ़ती अपेक्षाएं। निजी स्कूलों ने स्मार्ट क्लास, अंग्रेज़ी माध्यम और बेहतर अनुशासन जैसे कारकों को भुनाकर अभिभावकों का विश्वास जीता है।

सरकार के सामने अब चुनौती है कि वह सरकारी स्कूलों को फिर से आकर्षक और गुणवत्तापूर्ण बनाए। इसके लिए शिक्षकों की नियमित भर्ती, प्रशिक्षण, आधारभूत सुविधाओं में सुधार और निगरानी व्यवस्था को मजबूत करना आवश्यक है।

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TAGS: Government schools, Private schools, School enrolment, Education Ministry, Andhra Pradesh, Telangana, Student ratio, Mid-Day Meal, Educational infrastructure, Quality education
OUTLOOK 30 May, 2025
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