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05 August 2025

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को 79 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके आधिकारिक एक्स हैंडल से इस बात की पुष्टि की गई, "पूर्व राज्यपाल श्री सत्यपाल सिंह मलिक जी अब नहीं रहे।" सत्यपाल मलिक भारतीय राजनीति के उन चंद चेहरों में से थे जो सत्ता में रहते हुए भी बेबाक बोलने से नहीं डरते थे। उनका राजनीतिक सफर कई रंगों से भरा रहा। वह कभी समाजवादी विचारधारा के साथ, तो कभी भाजपा के साथ सत्ता के शिखर तक का सफर किए।

सत्यपाल मलिक लगभग एक महीने से दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती थे। वह किड़नी की समस्या से जूझ रहे थे।कुछ दिनों पहले उन्होंने एक ट्वीट कर कहा था, "मेरी हालत बहुत गंभीर होती जा रही है। मैं रहूं या ना रहूं इसलिए अपने देशवासियों को सच्चाई बताना चाहता हूं। जब गवर्नर के पद पर था तो उस समय मुझे 150-150 करोड़ रूपए की रिश्वत की  पेशकश भी हुई परंतु में मेरे राजनीतिक गुरु किसान मसीहा स्वर्गीय चौधरी चरणसिंह जी की तरह ईमानदारी से काम करता रहा ओर मेरा ईमान वो कभी डिगा नहीं सकें। जब मैं गवर्नर था उस समय किसान आंदोलन भी चल रहा था, मैंने बग़ैर राजनीतिक लोभ लालच के पद पर रहते हुए किसानों की मांग को उठाया।"

उन्होंने आगे लिखा, "फिर महिला पहलवानों के आंदोलन में जंतर-मंतर से लेकर इंडिया गेट तक उनकी हर लड़ाई में उनके साथ रहा। पुलवामा हमले में  शहीद वीर जवानों के मामले को उठाया, जिसकी आज तक इस सरकार ने कोई जांच नहीं करवाई है। सरकार मुझे CBI का डर दिखाकर झूठे चार्जशीट में फंसाने के बहाने ढूंढ रही है। जिस मामले में मुझे फंसाना चाहते हैं उस टेंडर को मैंने खुद निरस्त किया था, मैंने खुद प्रधानमंत्री जी को बताया था इस मामले में करप्शन है और उन्हें बताने के बाद में मैंने खुद उस टेंडर को कैंसिल किया, मेरा तबादला होने के बाद में किसी अन्य के हस्ताक्षर से यह टेंडर हुआ।"

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उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा, "मैं सरकार को और सरकारी एजेंसियों को बताना चाहता हूं कि मैं किसान कौम से हूं, मैं ना तो डरने वाला हूं ओर ना ही झूकने वाला हूं। सरकार ने मुझे बदनाम करने में पुरी ताकत लगा दी, अंत में मेरा सरकार से ओर सरकारी एजेंसियों से अनुरोध है कि मेरे प्यारे देश की जनता को सच्चाई जरूर बताना कि आपको छानबीन में मेरे पास मिला क्या?"

उन्होंने ये भी कहा था, "हालांकि सच्चाई तो यह है कि 50 साल से अधिक लंबे राजनीतिक जीवन में बहुत बड़े-बड़े पदों पर देशसेवा करने का मौका मिलने के बाद आज़ भी मैं एक कमरे के मकान में रह रहा हूं ओर कर्ज में भी हूं। अगर आज मेरे पास धन दौलत होती तो मैं प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवाता।"

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से आने वाले मलिक का राजनीतिक जीवन 1960 के दशक में शुरू हुआ था। वह जनता दल और समाजवादी पार्टी जैसे दलों से होते हुए अंततः भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। 2018 से 2021 तक उन्हें गोवा, बिहार, मेघालय और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का राज्यपाल बनाया गया।

हालांकि, मलिक का सबसे चर्चित कार्यकाल जम्मू-कश्मीर में रहा, जब उन्होंने 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले प्रदेश की कमान संभाली थी। लेकिन उनका कार्यकाल विवादों से भी अछूता नहीं रहा। उन्होंने पुलवामा हमले और कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की थी, जिससे उनका भाजपा से टकराव हुआ। इसके बाद वह लगातार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते रहे और कई बार यह भी कहा कि वह "अब भाजपा के नहीं, किसानों के साथ हैं।"

मलिक की पहचान एक ऐसे नेता की रही जो बिना लाग-लपेट के बोलते थे। उनकी मौत से भारतीय राजनीति में एक ऐसा स्वर शांत हो गया जो सत्ता से टकराकर भी अपनी बात कहने से पीछे नहीं हटता था।

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TAGS: Satyapal Malik dies, Jammu and Kashmir Governor, Article 370, BJP critic, Pulwama attack, farmers movement, outspoken leader, Indian politics, Satyapal Malik biography, Satyapal Malik dead
OUTLOOK 05 August, 2025
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