1984 सिख विरोधी दंगे: दिल्ली हाई कोर्ट ने रखी सभी 88 दोषियों की सजा बरकरार
दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में 88 दोषियों की सजा बरकरार रखी है। कोर्ट ने 22 साल पुरानी अपील पर अपना फैसला सुनाया है। ये मामला पूर्व दिल्ली के त्रिलोकपुरी से जुड़ा है। दंगों, घरों को जलाने और कर्फ्यू का उल्लंघन करने के लिए ट्रायल कोर्ट ने उन्हें पांच साल की सजा सुनाई गई थी।
अभियुक्तों ने सेशन कोर्ट के 27 अगस्त 1996 के फैसले को चुनौती दी थी। कई दोषियों की अपील लंबित होने के दौरान ही मृत्यु हो गई। त्रिलोकपुरी में हुए दंगों के संबंध में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, दंगों में 95 लोगों की मौत हो गई थी और 100 घर जला दिए गए थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दंगे भड़के थे। इन सिख विरोधी दंगों में करीब तीन हजार लोग मारे गए थे।
एक मामले में दी जा चुकी है फांसी की सजा
इसी महीने की 20 तारीख को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दो लोगों की हत्या के दोषी यशपाल सिंह को मंगलवार को फांसी की सजा सुनाई जबकि एक अन्य को उम्रकैद का आदेश दिया था। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 2015 में दंगों से संबंधित मामलों को फिर से खोला था। फैसले में कोर्ट ने कहा था कि यह अपराध 'दुर्लभतम' श्रेणी में आता है और इसके लिए मृत्युदंड का प्रावधान है। दिल्ली पुलिस ने साक्ष्य के अभाव में इस मामले को 1994 में बंद कर दिया था। एसआईटी दंगों से जुड़े करीब 60 मामलों की जांच कर रही है।
देशभर में भड़की थी हिंसा
31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगा भड़क गए। इसमें सैकड़ों सिखों को देशभर में निशाना बनाया गया। देशभर में सिखों के घरों और उनकी दुकानों को जला दिया गया। सबसे ज्यादा हिंसा दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में भड़की थी।