Advertisement
02 November 2019

यूपी में पॉवर सेक्टर इम्प्लॉइज ट्रस्ट में कथित घोटाले की जांच के आदेश

Symbolic Image

यूपी पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड के पॉवर सेक्टर इम्प्लॉइज ट्रस्ट में 2631 करोड़ रुपए की अनियमितता और घोटाले का आरोप लगा है। इससे एक लाख से अधिक कर्मचारियों और पेंशनरों का पैसा फंसने की आशंका जतायी जा रही है। वहीं, एम्प्लाई ट्रस्ट के दो अधिकारियों सुधांशु द्विवेदी, प्रवीण गुप्ता को गिरफ्तार किया गया है। सुधांशु द्विवेदी की गिरफ्तारी लखनऊ और प्रवीण गुप्ता की गिरफ्तारी आगरा में हुई है। इस बीच सरकार की ओर से जांच के आदेश दे दिए गए हैं। सरकार की ओर से कहा गया कि इसके लिए जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है। साथ ही अब एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी। निवेश में मानकों के विपरीत जाकर जो गलतियां की हैं उसकी जांच एक कमेटी के जरिए की जा रही है।

प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार ने कहा कर्मचारियों का पैसा पूरी तरह सुरक्षित है। डीएचएलएफ में जमा पैसा निकालने के लिए हर तरीके से प्रयास किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर किसी भी तरीके का रिस्क हुआ तो यूपी पॉवर कॉरपोरेशन कर्मचारियों का पूरा पैसा वापस करेगा। किसी को नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई तो की ही जा रही है। अब एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी। निवेश में मानकों के विपरीत जाकर जो गलतियां की हैं उसकी जांच एक कमेटी के जरिए की जा रही है। प्रमुख सचिव ने यह भी कहा कि नई व्यवस्था में यूपीपीसीएल के कर्मचारियों का पैसा अब ईपीएफओ के जरिए सुरक्षित किया जाएगा। यह केंद्र सरकार की एक एजेंसी है और इससे बाजार में निवेश के खतरों को कम किया जाएगा।

 मामले में विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने डीएचएफएल के इकबाल मिर्ची और दाऊद इब्राहिम से संबंधों के समाचार पर गंभीर चिंता प्रकट की है। साथ ही इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीबीआई जांच कराने की मांग की है। साथ ही घोटाले में दोषी पॉवर कॉरपोरेशन प्रबंधन के आला अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही करने, पॉवर सेक्टर एम्प्लॉइज ट्रस्ट का पुनर्गठन करने और उसमें पूर्व की तरह कर्मचारियों के प्रतिनिधि को भी शामिल करने की मांग की है। 

Advertisement

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने सरकार से मांग की है कि पॉवर कॉरपोरेशन प्रबंधन ट्रस्ट में जमा धनराशि और उसके निवेश पर तत्काल एक श्वेतपत्र जारी करे, जिससे यह पता चल सके कि कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई की धनराशि कहां-कहां निवेश की गई है। समिति के प्रतिनिधियों ने कहा कि मार्च 2017 से दिसंबर 2018 के बीच डीएचएफएल में 2631 करोड़ रुपए जमा किए गए और मार्च 2017 से आज तक पॉवर सेक्टर इम्प्लॉईस ट्रस्ट की एक भी बैठक नहीं हुई इसलिए यह बहुत सुनियोजित और गंभीर घोटाला है।

'डीएचएफएल में फंसे हुए हैं 1600 करोड़ रुपए'

संघर्ष समिति का कहना है कि अभी भी 1,600 करोड़ रुपए से अधिक की राशि डीएचएफएल में फंसी हुई है। हम सरकार से आश्वासन भी चाहते हैं कि जीपीएफ या सीपीएफ ट्रस्ट में मौजूद पैसों को भविष्य में इस तरह की कंपनियों में निवेश नहीं किया जाएगा।

यूपीपीसीएल के चेयरमैन को लिखे एक पत्र में अभियंता संघ ने कर्मचारियों के सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) और अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) से संबंधित पैसे को निवेश करने के निर्णय पर सवाल उठाया है। पत्र में कहा गया है कि प्रदेश सरकार को अब यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक विवादास्पद कंपनी में जमा की गई हजारों कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई वापस लाई जाए। पत्र में कहा गया है कि यूपी स्टेट पॉवर सेक्टर इंप्लाई ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने सरप्लस कर्मचारी निधि को डीएचएफएल की सावधि जमा योजना में मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक जमा कर दिया। इस बीच बंबई उच्च न्यायालय ने कई संदिग्ध कंपनियों और सौदों से उसके जुड़े होने की सूचना के मद्देनजर डीएचएफएल के भुगतान पर रोक लगा दी।

पत्र में कहा गया है कि ट्रस्ट के सचिव ने फिलहाल स्वीकार किया है कि 1,600 करोड़ रुपये अभी भी डीएचएफएल में फंसा हुआ है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि कर्मचारी निधि को किसी निजी कंपनी के खाते में हस्तांतरित किया जाना, उन नियमों का सरासर उल्लंघन लगता है, जो कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के बाद के लिए इस निधि को सुरक्षित करते हैं।

मामले में विभाग की ओर से ट्रस्ट के सचिव को करीब एक माह पहले ही निलंबित कर दिया गया था, लेकिन निलंबन का कारण सार्वजनिक नहीं किया गया था। इसलिए माना जा रहा है कि अधिकारी मामले को दबाना चाह रहे थे।

उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग

उत्तर प्रदेश पावर आफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के नेतृत्व में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत से मुलाकात की और मांग की है कि उत्तर प्रदेश पावर सेक्टर इम्प्लॉईज ट्रस्ट में हुए अरबों रुपये के घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और घोटाले में प्रथम दृष्टया दोषी पॉवर कॉरपोरेशन प्रबंधन के आला अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही की जाए। प्रतिनिधिमंडल ने सवाल किया कि कारपोरेशन मामले पर अभी तक क्यों पर्दा डाल रहा था?

घोटाले की हो उच्चस्तरीय जांच: अखिलेश

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार में अरबों रुपए का एक बड़ा घोटाला सामने आया है। बिजली कर्मचारियों के 16 अरब रुपए एक डिफाल्टर कम्पनी डीएचएफसीएल में लगा दिए गए। इस कम्पनी के आतंकवादी इकबाल मिर्ची और दाऊद से सम्बंध बताए जाते हैं। अब सवाल यह है कि बिजली कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई के पैसे कौन लौटाएगा? इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो, तभी इस वित्तीय अनियमितता का खुलासा हो पाएगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: 2631 crore scam, Power Sector Employees Trust, UP
OUTLOOK 02 November, 2019
Advertisement