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07 June 2023

ओडिशा रेल हादसा: टीम के साथ 51 घंटे तक मैदान पर डटे रहे रेल मंत्री, दुर्घटना के बाद क्या-क्या हुआ?

ट्विटर/एएनआई

आपदा, दुर्घटना, अनहोनी...एक बड़ी मुश्किल है, जो मासूम जिंदगियां तबाह कर जाती है। 2 जून की देर शाम ओडिशा के बालासोर में घातक रेल दुर्घटना ने देश को हिलाकर रख दिया। सरकार और रेलवे के लिए इस चुनौती से निपटना टेढ़ी खीर से कम नहीं था। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव हादसे के कुछ घंटों बाद मैदान में उतरे। इस विकट स्थिति से कैसे निपटा जाए या निपटा जा रहा है, यह इस लेख में आप जान सकेंगे।

हादसे के कुछ घंटों के भीतर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दुर्घटना स्थल का दौरा किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने एएनआई को बताया, "आगे के प्लान और आगे की योजना में कोई अंतर नहीं था।" योजनाबद्ध होकर विभाग ने अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने पर ध्यान केंद्रित किया। घायलों को जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता प्रदान करना सुनिश्चित किया गया।

रेल मंत्रालय के अधिकारी ने बताया, "जमीन पर काम करने के लिए कम से कम 70 सदस्यों के साथ आठ टीमों का गठन किया गया था। फिर इन दोनों टीमों में से प्रत्येक की निगरानी वरिष्ठ अनुभाग अभियंताओं (एसएसई) द्वारा की गई थी। एसएसई की निगरानी एक डीआरएम और एक जीएम रेलवे द्वारा की गई। इनको निगरानी रेलवे बोर्ड के एक सदस्य द्वारा की गई।" रेल मंत्रालय के यह अधिकारी ट्रेन की पटरी पर काम कर रहे थे।

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दूसरी तरफ यह सुनिश्चित करना था कि जिन लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उनके लिए कोई समस्या न हो। इसकी निगरानी के लिए रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को कटक के अस्पताल में रखा गया, जबकि डीजी स्वास्थ्य को भुवनेश्वर के अस्पताल में भेजा गया, ताकि इलाज करा रहे यात्रियों को अधिकतम राहत मिल सके।

एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमें स्पष्ट निर्देश मिले थे कि न केवल जमीन पर बचाव और राहत अभियान महत्वपूर्ण है बल्कि अस्पताल में उन लोगों का आराम भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि वरिष्ठ अधिकारियों को स्थिति की निगरानी के लिए भेजा गया था।" बता दें कि रेल मंत्रालय, दिल्ली में स्थित रेल मंत्री के मुख्यालय में वार रूम से चौबीसों घंटे घटनाक्रम पर लगातार नजर रखी जा रही थी।

एक सूत्र ने कहा, "घटना स्थल की लाइव निगरानी की जा रही थी और मंत्री और उनकी टीम को वास्तविक समय में प्रगति के सभी विवरण बताए गए थे।" एक अनुभवी नौकरशाह से राजनेता तक का सफर तय करने वाले, भारत के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के लिए आपदा प्रबंधन कोई नई बात नहीं है। साल 1999 वो समय था, जब उन्होंने बालासोर जिले के कलेक्टर के रूप में, महाचक्रवात संकट को संभाला था।

इस बार मुसीबत बड़ी थी। दुर्घटना के बाद जमीन पर चुनौतियों में से एक यह सुनिश्चित करना था कि कोई बर्नआउट न हो। जमीन पर काम करने वालों को काम पर वापस आने से पहले पर्याप्त ब्रेक और आराम मिले, यह भी देखा जा रहा था। गौरतलब है कि रविवार की रात जब अप लाइन चल रही थी तब जाकर टीम ने राहत की सांस ली। अश्विनी वैष्णव खुद टीम के साथ 51 घंटे तक जमीन पर रहे।

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TAGS: 51 hours, over 2300 staff, Ashwini Vaishnaw-led team, worked, Odisha Rail Accident
OUTLOOK 07 June, 2023
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