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08 July 2018

साल 2016 में देशभर से 55,000 बच्चे हुए अगवा

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देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों के चोरी हो जाने का डर फैला हुआ है। लोगों की पीट-पीटकर हत्याएं तक हो रही हैं। व्हाट्सएप मैसेज को भी इन अफवाहों के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। मॉब लिंचिंग को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है। भीड़ द्वारा इस तरह हत्या करने को कहीं से भी जायज नहीं ठहराया जा सकता।

इस बीच यह भी जानना जरूरी है कि बच्चा चोरी महज एक अफवाह है या इसके पीछे कुछ आधार भी है। पीटीआई के मुताबिक, गृह मंत्रालय की ओर से जारी साल 2016 के आंकड़ों पर गौर करें तो उस साल भारत से करीब 55,000 बच्चों को अगवा किया गया है और यह आंकड़ा एक साल पहले के आंकड़ों के मुकाबले 30 फीसदी अधिक है।

गृह मंत्रालय की 2017-18 की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में 54,723 बच्चे अगवा हुए लेकिन केवल 40.4 फीसदी मामलों में ही आरोप पत्र दाखिल किए गए।

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साल 2016 में बच्चों के अपहरण के मामलों में दोष सिद्धि की दर महज 22.7 फीसदी रही। साल 2015 में ऐसे 41,893 मामले दर्ज किए गए जबकि वर्ष 2014 में यह संख्या 37,854 थी। साल 2017 के आंकड़े अभी प्रस्तुत नहीं किए गए हैं।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हाल में हुए पीट-पीटकर हत्या के ज्यादातर मामलों के पीछे सोशल मीडिया पर बच्चा उठाने की अफवाहें थी। आंकड़े बताते हैं कि बच्चों के अपहरण का डर, खासकर ग्रामीण इलाकों में, पूरी तरह से बेबुनियाद नहीं है। ’’

गुरुवार को गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उन घटनाओं का पता लगाने को कहा था जिनमें सोशल मीडिया पर बच्चा उठाने की अफवाहों के बाद भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या की घटना को अंजाम दिया।

बीते दो महीने में बच्चा चोरी के संदेह में 20 से ज्यादा लोगों की पीट-पीटकर हत्या की गई। हाल की घटना एक जुलाई को महाराष्ट्र के धुले में हुई जिसमें बच्चा चोर होने के शक में पांच लोगों की हत्या कर दी गई। अफवाहों से बचने के लिए लोगों का जागरुक रहना बहुत जरूरी है। साथ ही यह भी कि अगर बच्चा चोरी की घटनाएं सच में हो रही हैं तो यह भीड़तंत्र के न्याय से ज्यादा लॉ एंड ऑर्डर का मसला है। 

(पीटीआई से इनपुट के साथ)

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TAGS: 55, 000 Children, 2016, home ministry data
OUTLOOK 08 July, 2018
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