प्रमुख पार्टियों के बहिष्कार के बीच हुए जम्मू कश्मीर के बीडीसी चुनाव में 98 फीसदी मतदान
जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद राज्य में हुए पहले ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के चुनाव में 98.3 फीसदी मतदान हुआ। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने हिस्सा नहीं लिया। सरकार इन चुनावों के जरिये राज्य में हालात सामान्य होने के संकेत देना चाहती है।
श्रीनगर में 100 फीसदी मतदान
कश्मीर डिवीजन के श्रीनगर में 100 फीसदी मतदान होने की खबर है। पिछले 5 अगस्त को राज्य का विशेष दर्जा हटाए जाने और विभाजन किए जाने के बाद से अभी तक श्रीनगर में प्रतिबंध लगे हुए हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने कहा कि राज्य में 98.3 फीसदी मतदान हुआ। ये मतदान राज्य के 310 ब्लॉकों में बीडीसी के अध्यक्ष चुनने के लिए हुए थे। इस चुनाव में 1092 उम्मीदवार मैदान में हैं जबकि 27 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए।
26,629 मतदाताओं ने वोट डाले
अधिकारियों ने बताया कि बीडीसी के चुनाव में 26,629 मतदाताओं ने वोट डाले। इनमें 8313 महिला और 18316 पुरुष मतदाता थे। बीडीसी पंचायती राज्य संस्थानओं में दूसरे स्तर के निकाय हैं। राज्य में तीन स्तरीय पंचायती राज संस्थाएं काम कर रही हैं। ग्राम, ब्लॉक और जिला स्तर की संस्थाएं हैं। गांव स्तर के चुनाव पिछले साल हुए थे। इन चुनावों का भी नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने बहिष्कार किया था।
कश्मीर के मुकाबले जम्मू में ज्यादा वोटिंग
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार कश्मीर क्षेत्र के 10 जिलों में 93.65 फीसदी मतदान हुआ जबकि जम्मू क्षेत्र के 10 जिलों में 99.4 फीसदी मतदान हुआ। कश्मीर घाटी में श्रीनगर में सबसे ज्यादा 100 फीसदी मतदान हुआ। शोपियां और पुलवामा जिले में क्रमशः 85.3 और 86.2 फीसदी मतदान हुआ। जम्मू क्षेत्र में रियासी में सबसे ज्यादा 99.7 फीदी मतदान हुआ जबकि जम्मू में 99.5 फीसदी वोट पड़े। लद्दाख में 97.8 फीसदी वोट डाले गए। राज्य में बीडीसी चुनाव गोपनीय मतपत्र के जरिये हुए।
महिला प्रत्याशी न होने से चार ब्लॉकों में चुनाव नहीं
उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में सबसे ज्यादा 101 और दक्षिणी कश्मीर के शोपियां में सबसे कम 4 प्रत्याशी मैदान में थे। राज्य में कुल 316 ब्लॉक हैं लेकिन चुनाव 310 ब्लॉकों में हुआ। दो ब्लॉकों में कोई पंच और सरपंच नहीं हैं जो वोट डालते हैं। चार ब्लॉक महिलाओं के लिए आरक्षित थे। इनमें कोई भी महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए सामने नहीं आई।