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30 August 2018

विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी कर रही सरकार: अरुंधित रॉय

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कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों ने आज एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में हाल ही में 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा की। बुकर विजेता लेखिका अरुंधति रॉय, वकील प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता बेजवाड़ा विल्सन, अरुणा रॉय, विधायक जिग्नेश मेवाणी ने भीमा कोरेगांव हिंसा से संबंधित छापेमारी और गिरफ्तारियों को गलत बताया। कई संगठनों ने दिल्ली के प्रेस क्लब में इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। 

लेखिका अरुंधति रॉय ने गिरफ्तारी का विरोध करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसों को देश से भाग जाने देकर जनता की जेब काटी है। रॉय ने कहा कि सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए एक्टविस्टों की गिरफ्तारी कर रही है। 

गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने पांच एक्टविस्टों की गिरफ्तारी के खिलाफ पांच सितम्बर को देश भर में दलित-आदिवासियों का विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। 

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वरिष्ठ समाजसेवी अरुणा रॉय ने पांच एक्टिविस्टों की गिरफ्तार पर सवाल खड़ा करते हुए असंवैधानिक बताया। अरुणा रॉय ने कहा, 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का खतरा है। ये उन लोगों के लिए संकेत है जो असहमति जताते हैं।'

अरुणा रॉय ने कहा कि सरकार द्वारा साल 2019 के लोक सभा चुनाव से पहले समाज में सवाल पूछने के लेकर डर पैदा करने के लिए किया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता संजय प्रकाश ने कहा कि देश में इमरजेंसी जैसे हालत हैं और असहमति का अधिकार लोकतंत्र का बुनियादी अधिकार है।

यहां शामिल संगठनों में पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर), पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और वीमेन अगेंस्ट सेक्सुअल वॉयलेंस एंड स्टेट रिप्रेशन (डब्ल्यूएसएस) शामिल हैं।

संगठनों ने अपने जॉइंट स्टेटमेंट में कहा है, लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ताओं और संगठनों पर हमला गरीबों और समाज के वंचित वर्गों पर हमला है।

भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामलों में मंगलवार को देश के कई हिस्सों में वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी और उनके ठिकानों पर छापेमारी हुई। इसमें पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा, वरवर राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरिया और वरनोन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया गया। पुलिस की छापेमारी महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, दिल्ली और झारखंड में की गई।

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TAGS: Activists, Authors, Bhima Koregaon Violence
OUTLOOK 30 August, 2018
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