काशी कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले अखिलेश का बड़ा दावा, कहा- सपा ने रखी थी नींब; इस बार सबूतों के साथ करेंगे बात, दस्तावेज भी देंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल यानी 13 दिसंबर को वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे। इसके लिए बीजेपी ने बड़े स्तर पर तैयारियां की हैं, लेकिन कॉरिडोर के उद्घाटन से एक दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को लेकर कहा है कि कॉरिडोर की पहल समाजवादी पार्टी ने की थी।हम इससे जुड़े दस्तावेज़ भी देंगे, क्योंकि इस बार हम सबूतों के साथ बात करेंगे।
अखिलेश यादव ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि ये सब इसलिए हो रहा है ताकी सरकार किसानों को दोगुनी आमदनी देने से बच सके। बस ध्यान भटकाया जा रहा है। उन्होंने कहा, "आप सभी जानते हैं कि किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किसने किया था। जब उर्वरक मौजूद ही नहीं और सब कुछ निर्यात किया जा रहा है तो किसानों की आय दोगुनी कैसे होगी? वो डरे हुए हैं कि कहीं लोग ये सवाल न पूछने लगें।"
सोमवार को होने वाले कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी गंगा तट से खुद जल लेकर बाबा विश्वनाथ मंदिर तक बने कॉरिडोर चल कर आएंगे और जलाभिषेक करेंगे. गर्भगृह में पूजन के समय पीएम मोदी, पुजारियों और न्यास के सदस्यों के अलावा कोई और नहीं होगा। पीएम के ललिता घाट से आते ही 151 सदस्यों वाला डमरू दल लगातार डमरू का वादन करेगा।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर लोकार्पण कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने के लिए काशी के 8 लाख घरों में लड्डू बांटने की तैयारी है। इसे बनाने में 14 हजार किलो बेसन, सात हजार किलो चीनी और सात हजार किलो घी का इंतजाम किया गया है। लड्डू बनाने के लिए दस लोगों को लगाया गया है।
वहीं, अखिलेश यादव की मौजूदगी में रविवार को गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी और संत कबीर नगर के खलीलाबाद क्षेत्र से बीजेपी विधायक दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे ने सपा का दामन थामा। इसके अलावा विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडे और पूर्व सांसद भीम शंकर तिवारी उर्फ कौशल तिवारी ने भी सपा की सदस्यता ग्रहण की। अखिलेश ने इन सभी का सपा में स्वागत करते हुए कहा कि इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी और अब आगामी विधानसभा चुनाव में सपा का मुकाबला कोई नहीं कर सकता।
गत सोमवार को बसपा ने विधायक विनय शंकर तिवारी उनके बड़े भाई पूर्व सांसद कुशल तिवारी और रिश्तेदार गणेश शंकर पांडे को पार्टी विरोधी गतिविधियों और वरिष्ठ नेताओं से अनुचित व्यवहार करने के आरोप में निष्कासित कर दिया था।