आंध्र प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण को दी मंजूरी, अध्यादेश मसौदे को मिली कैबिनेट की स्वीकृति
आंध्र प्रदेश सरकार ने 15 अप्रैल, मंगलवार को अनुसूचित जातियों (एससी) के भीतर उप-वर्गीकरण लागू करने के लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तुत अध्यादेश के मसौदे को मंजूरी दे दी। यह कदम राज्य की विभिन्न एससी उप-जातियों के बीच आरक्षण के लाभों को उनके सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर न्यायसंगत ढंग से बांटने के उद्देश्य से उठाया गया है। सरकार इस व्यवस्था को "आरक्षण के भीतर आरक्षण" कह रही है। जिसका उद्देश्य सभी उप-जातियों को समान अवसर देना है।
यह निर्णय उस पृष्ठभूमि में लिया गया है। जब सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों को एससी उप-जातियों के वर्गीकरण की अनुमति दी थी। इसके बाद 15 नवंबर, 2024 को आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने राज्य में एससी उप-वर्गीकरण पर अध्ययन करने के लिए एक आयोग का गठन किया। इस आयोग का नेतृत्व सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राजीव रंजन मिश्रा ने किया। आयोग ने राज्य के सभी 13 पुराने (अब 26) जिलों में जाकर जनता की राय ली और फिर 10 मार्च 2025 को एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंपी।
इस रिपोर्ट को राज्य की विधान परिषद और विधानसभा दोनों में सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। और उसी के आधार पर अध्यादेश का मसौदा तैयार किया गया। आयोग की सिफारिशों के अनुसार, राज्य की 59 अनुसूचित जाति उप-जातियों को तीन अलग-अलग समूहों में बांटा गया है। जो उनके सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन पर आधारित हैं।
पहला समूह 'सबसे पिछड़े' समुदायों का है। जिन्हें रेली उप-समूह के अंतर्गत रखा गया है। इसमें बावुरी, चचती, चंडाला, डंडासी, डोम, घासी, गोदागली, मेहतर, पाकी, पामिडी, रेली और सप्रू जैसी जातियां शामिल हैं। इस समूह को 1% आरक्षण दिया जाएगा।
दूसरा समूह मडिगा उप-समूह का है। जिसमें अरुंधतिया, बिंदाला, चमार, चंभर, डक्कल, धोर, गोदारी, गोसंगी, जगल, जम्बुवुलु, कोलुपुलावंदलु, मडिगा, मडिगा दासु, मांग, मांग गरोडी, मातंगी, समाग्रा और सिंधोलु जातियां आती हैं। इन्हें 'पिछड़ा' समूह कहा गया है। इन्हें 6.5% आरक्षण मिलेगा।
तीसरा समूह माला उप-समूह का है। जिसे 'कम पिछड़ा' वर्ग माना गया है। इसमें आदि द्रविड़, अनामुक, अरायमाला, अर्वमाला, बरिकी, ब्यागरा, चलवाड़ी, येल्लामलावर, होलेया, होलेया दसारी, मदसी कुरुवा, महार, माला, माला दसारी, माला दासु, माला हन्नाई, माला जंगम, माला मस्ती, माला साले, माला संन्यासी, मन्ने, मुंडला, सांबन, यताला, वल्लुवन, आदि आंध्र, मस्ती, मिट्टा अय्यालवर और पंचमा जैसी 29 जातियां शामिल हैं। इन्हें 7.5% आरक्षण प्रदान किया जाएगा।
इस निर्णय को सामाजिक प्रतिनिधित्व और अवसरों की समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। एससी, एसटी नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है। मदिगा आरक्षण पोराता समिति (एमआरपीएस) के प्रमुख मंडा कृष्ण मडिगा ने कहा कि आरक्षण केवल जनसंख्या के आधार पर नहीं, बल्कि पिछड़ेपन और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर मिलना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक माला समुदाय आरक्षण लाभों पर हावी रहा है। जिससे अन्य उप-जातियां उपेक्षित रह गई हैं।
समाज कल्याण मंत्री डॉ. डोला वीरंजनेय स्वामी ने कहा कि इस अध्यादेश का मूल उद्देश्य राज्य की सभी अनुसूचित जाति समुदायों की समान और समेकित उन्नति सुनिश्चित करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम शिक्षा, सरकारी रोजगार, राजनीतिक भागीदारी और सामाजिक प्रतिनिधित्व में सभी उप-जातियों की हिस्सेदारी को न्यायसंगत ढंग से सुनिश्चित करेगा।