अवैध दखल से घटती है संस्था की साख और अफसरों का मनोबलः आलोक वर्मा
सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने और सारे अधिकार वापस ले लिए जाने के केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने याचिका में मौजूदा सरकार पर जांच में दखल देने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
उच्च पदों पर बैठे लोग देते हैं जांच में दखल
याचिका में कहा गया है कि सीबीआई से उम्मीद की जाती है कि वो एक स्वतंत्र और स्वायत एजेंसी के तौर पर काम करेगी लेकिन ऐसे हालात को नहीं टाला जा सकता जब उच्च पदों पर बैठे लोगों से सम्बंधित जांच की दिशा सरकार की मर्जी के मुताबिक ना हो।
सीबीआई डायरेक्टर ने अपने 35 साल के कैरियर का हवाला देते हुए कहा कि उनकी नियुक्ति जनवरी 2017 में दो साल के लिए हुई थी। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में ऐसे केस आये जिनमें जांच अधिकारी से लेकर जॉइंट डायरेक्टर या डायरेक्टर तक किसी खास एक्शन तक सहमत थे लेकिन सिर्फ स्पेशल डायरेक्टर की राय अलग थी।
हटाने का आदेश गैर कानूनी और असंवैधानिक
आलोक वर्मा ने अपनी दलील में कहा कि सीवीसी केंद्र ने रातोरात में मुझे सीबीआई डायरेक्टर के रोल से हटाने का फैसला लिया और नए शख्स की नियुक्ति का फैसला ले लिया जो कि गैरकानूनी है। सरकार का ये कदम डीपीएसई कानून के खिलाफ है जो सीबीआई डायरेक्टर की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए तैनाती का दो साल का समय तय करता है। उन्होंने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने और सारे अधिकार वापस ले लिए जाने के केंद्र के आदेश को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताते हुए इसे वापस लेने का अनुरोध किया है।
कानून के तहत सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सीजेआई की कमेटी करेगी तथा सीबीआई डायरेक्टर के ट्रांसफर के लिए इस कमेटी की मंजूरी जरूरी है। सरकार का आदेश इसका उल्लंघन करता है। इस तरह के फैसलों से संस्था की साख घटती है और अफसरों का मनोबल गिरता है।
थमने का नाम नहीं ले रही है अफसरों की रार
देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में मची रार थम नहीं रही है। केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया। इन दोनों टॉप लेवल के अफसरों को छुट्टी पर भेजने के बाद एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया है। वहीं, सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ आलोक वर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। आलोक ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर केंद्र के फैसले पर विरोध जताया है जिस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।