अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज होने पर जमीयत और पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताया खेद
अयोध्या विवाद में दाखिल सभी पुनर्विचार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार को खारिज कर दीं। इस फैसले पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा, हमें अफसोस है कि पुनर्विचार याचिकाएं खारिज हुईं। पहले कोर्ट ने माना था कि मस्जिद को गिराया गया। जिन लोगों ने इसे गिराया था वे दोषी हैं, फिर भी कोर्ट ने उन्हीं लोगों के हक में फैसला दे दिया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार नहीं किया। हम यह नहीं कह सकते कि हमारा अगला कदम क्या होना चाहिए, हम अपने वरिष्ठ वकील राजीव धवन से सलाह लेंगे।
सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज
औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर में 3.8 फीसदी गिर गया। इससे पहले अगस्त में 1.4 फीसदी और सितंबर में 4.3 फीसदी गिरावट दर्ज हुई थी।
गौरतलब है कि अयोध्या विवाद में दाखिल सभी पुनर्विचार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार को खारिज कर दीं।पांच जजों की पीठ ने 18 याचिकाओं पर सुनवाई की। इनमें सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर के उस फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया गया था जिसमें अयोध्या में 2.77 एकड़ भूमि पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था। साथ ही मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का निर्णय भी दिया गया था। पुनर्विचार याचिकाओं में से 9 याचिकाएं तो इस मामले के 9 पक्षकारों की जबकि शेष याचिकाएं ‘तीसरे पक्ष’ ने दायर की थीं। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना शामिल थे। पिछले महीने फैसला सुनाने वाली संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इसलिए उनकी जगह पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को शामिल किया गया।
क्या था अदालत का फैसला?
संविधान पीठ ने 9 नंवबर को अपने फैसले में समूची 2.77 एकड़ विवादित भूमि ‘राम लला’ विराजमान को दे दी थी और केंद्र को निर्देश दिया था कि वह अयोध्या में एक मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन आवंटित करे।