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07 December 2017

यमुना को हुए नुकसान के लिए आर्ट ऑफ लिविंग जिम्मेदार: एनजीटी

File Photo

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पिछले साले मार्च में विश्व सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित करने के कारण यमुना डूब क्षेत्र को हुए नुकसान के लिए श्री श्री रविशंकर के संगठन आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन (एओएल) को जिम्मेदार ठहराया है। एनजीटी के इस फैसले से निराश एओएल सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा।

अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने एओएल पर पर्यावरण मुआवजा बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि उसके द्वारा पहले जमा कराए गए पांच करोड़ रुपयों का इस्तेमाल डूब क्षेत्र में पूर्व स्थिति की बहाली के लिए किया जाएगा।

विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर पीठ ने यमुना डूब क्षेत्र के नुकसान के लिए एओएल को जिम्मेदार ठहराया। पीठ में न्यायमूर्ति जे रहीम और विशेषज्ञ सदस्य बीएस सजवान भी शामिल थे। पीठ ने दिल्ली विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह डूब क्षेत्र को हुए नुकसान और विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुसार उसे बहाल करने में आने वाले खर्च का आकलन करे।

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पीठ ने कहा कि अगर नुकसान को दुरुस्त करने में आने वाला खर्च पांच करोड़ रुपये से ज्यादा होता है तो उसे एओएल से वसूल किया जाएगा। उसने कहा कि अगर लागत पांच करोड़ रुपये से कम आती है तो शेष राशि फाउंडेशन को वापस कर दी जाएगी।

पीठ ने कहा कि यमुना के डूब क्षेत्र का इस्तेमाल किसी ऐसी गतिविधि के लिए नहीं होना चाहिए, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो। हालांकि पीठ ने यह फैसला करने से इनकार कर दिया कि क्या एओएल यमुना तट पर समारोह आयोजित करने के लिए अधिकृत था या नहीं। पीठ ने कहा कि यह उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

अधिकरण ने यमुना तट को बचाने के अपने कर्तव्य का पालन करने में नाकाम रहने के लिए डीडीए की खिंचाई की, लेकिन उसने कोई जुर्माना नहीं लगाया। फैसला सुनाए जाने के पहले बताया गया कि विगत में मामले की सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति आरएस राठौड़ ने खुद को पीठ से अलग कर लिया है।

अधिकरण ने मनोज मिश्र की याचिका पर सुनवाई के बाद इस मामले में अपना आदेश 13 नवंबर को सुरक्षित रख लिया था। इस याचिका में दावा किया गया था कि इस अयोजन से नदी और उसके तट को भारी नुकसान हुआ है तथा उसे ठीक किया जाना चाहिए।

एनजीटी के फैसले से निराश, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे एओएल

द आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन एओएल ने गुरुवार को कहा कि वह मार्च, 2016 में हुए अपने सांस्कृतिक समारोह के आयोजन से यमुना डूबक्षेत्र को पहुंची क्षति के लिए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा जिम्मेदार ठहराने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा। एओएल ने एनजीटी के फैसले पर निराशा जताते हुए दावा किया कि उसने पर्यावरण संबंधी नियमों का पालन किया था और उसकी दलीलों पर विचार नहीं किया गया।

एओएल ने कहा कि वह कानून का पालन करने वाला संगठन है और न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा। संगठन ने कहा,  हमें यकीन है कि हमें सुप्रीम कोर्ट में न्याय मिलेगा।

गौरतलब है कि अपने फैसले में एनजीटी ने श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व वाले एओएल को विशेषज्ञ समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के लिहाज से डूबक्षेत्र को पहुंची क्षति के लिए जिम्मेदार ठहराया।

 

 

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TAGS: Art Of Living, Responsible, Damaging, Yamuna Floodpains, World Cultural Festival, NGT
OUTLOOK 07 December, 2017
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