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16 August 2019

अनुच्छेद 370 को लेकर दायर याचिकाओं पर बोले सीजेआई- आधे घंटे पढ़ी याचिका, समझ नहीं आया कहना क्या चाहते हो

File Photo

सुप्रीम कोर्ट जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने और क्षेत्र में मीडिया के काम करने पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले को कानूनी चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि मैंने आधे घंटे याचिका पढ़ी। इसके बावजूद समझ नहीं आया कि आप कहना क्या चाहते हैं। ये किस तरह की याचिका है? यह तो मेंशन के लायक भी नहीं है। 

वकील मनोहर लाल शर्मा ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के सरकार के फैसले के अगले दिन ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले पर तुरंत सुनवाई की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई रंजन गोगोई ने एमएल शर्मा से पूछा, "यह याचिका क्या है? यह याचिका बनाए रखने योग्य नहीं है। यह किस तरह की याचिका है?"  उन्होंने कहा, 'मैंने इसे आधे घंटे तक पढ़ने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं निकल सका'।  

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केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में मीडिया पर लगाई पाबंदियां हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जम्मू-कश्मीर में दिन प्रतिदिन स्थिति में सुधार हो रहा है, पाबंदियां धीरे-धीरे हटाई जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों से अनुच्छेद 370 पर दाखिल उनकी याचिकाओं में खामियों को दूर करने के लिए कहते हुए सुनवाई स्थगित की।

सीजेआई रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस ए बोबडे एवं न्यायमूर्ति एस ए नजीर की विशेष पीठ, अधिवक्ता एम एल शर्मा और कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। अधिवक्ता ने जहां अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती दी है वहीं पत्रकार ने अपनी याचिका में पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट एवं लैंडलाइन सेवाओं समेत संचार के सभी माध्यमों को बहाल करने के निर्देश देने की मांग की है ताकि मीडिया अपना काम कर सके।

याचिका में दावा- अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति का आदेश गैरकानूनी

शर्मा ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के केंद्र के फैसले के एक दिन बाद छह अगस्त को याचिका दायर की थी। अधिवक्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति का आदेश गैरकानूनी है क्योंकि यह जम्मू कश्मीर विधानसभा की सहमति के बिना जारी किया गया।

मीडिया कर्मियों की आवाजाही पर लगी सभी पाबंदियों को हटाने की मांग

वहीं 10 अगस्त को दायर अलग याचिका में भसीन ने कहा कि वह कश्मीर और जम्मू के कुछ जिलों में पत्रकारों एवं मीडिया कर्मियों की आवाजाही पर लगी सभी पाबंदियों को तत्काल हटाने के संबंध में केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन के लिए निर्देश चाहती हैं।

मंगलवार को प्रतिबंधों पर हस्तक्षेप करने कोर्ट ने किया था इनकार

इससे पहले मंगलवार को शीर्ष अदालत ने प्रतिबंधों पर हस्तक्षेप करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि संवेदनशील स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए और सुनवाई दो हफ्तों के बाद तय की थी।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी दायर की है याचिका

जम्मू कश्मीर की मुख्य राजनीतिक पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी जम्मू कश्मीर के संवैधानिक दर्जे में किए गए बदलावों को कानूनी चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है। पार्टी ने तर्क दिया है कि इन बदलावों ने जनादेश के बिना वहां के नागरिकों से उनके अधिकार ले लिए। यह याचिका लोकसभा सदस्य मोहम्मद अकबर लोन और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने दायर की है।

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TAGS: Supreme court, to hear petitions, against Article 370, on today, CJI Ranjan Gogoi, ML Sharma.
OUTLOOK 16 August, 2019
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