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06 November 2019

अयोध्या पर फैसले से पहले बोले अरशद मदनी- जो भी निर्णय होगा वह स्वीकार होगा

File Photo

अयोध्या में राममंदिर औैर बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि कोर्ट का जो भी निर्णय होगा उसे मुसलमान स्वीकार करेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद, कानून और न्याय की दृष्टि में एक मस्जिद थी। करीब 400 साल तक मस्जिद थी इसलिए शरीयत के लिहाज आज भी वो एक मस्जिद है और कयामत तक मस्जिद ही रहेगी।

अरशद मदनी ने कहा कि अयोध्या पर सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा उसे हम स्वीकार करेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि यह फैसला हमारे पक्ष में आएगा। साथ ही अरशद मदनी ने कहा कि बाबरी मस्जिद का केस केवल भूमि का नहीं है बल्कि यह मुकदमा देश के दस्तूर और कानून का है।

'उम्मीद है कश्मीरियों को न्याय मिलेगा'

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मदनी ने कहा कि किसी पार्टी या व्यक्ति का अधिकार नहीं है कि किसी विकल्प के उम्मीद में मस्जिद के दावे से पीछे हट जाए। ऐसे में साक्ष्य और सबूत के आधार पर सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा उसे हम स्वीकार करेंगे। अयोध्या मुद्दे के साथ-साथ कश्मीर और एनआरसी के मुद्दे पर भी मौलाना अरशद मदनी ने चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि सरकार कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत का दरवाजा खुला रखना चाहिए और कश्मीरियों के मुद्दे को हर करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में है और उम्मीद है कि कश्मीरियों को न्याय मिलेगा।

एनआरसी की मुद्दे पर की निंदा

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि एनआरसी के मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह ने कोलकाता में जो बयान दिया था कि मुसलमानों को छोड़कर सबको नागरिकता देंगे। इसकी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि देश के गृह मंत्री को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।

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TAGS: Ayodhya case, Jamiat Ulama-i-Hind, Arshad Madni, SC verdict
OUTLOOK 06 November, 2019
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