आयुर्वेद आधारित सौंदर्य उत्पादों की व्यापार मेले में धूम, देश ही नहीं विदेशों में भी हो रहे हैं लोकप्रिय
नई दिल्ली। प्रगति मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में आयुर्वेद के परंपरागत फार्मूलों एवं जड़ी-बूटियों से निर्मित सौंदर्य उत्पाद विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। हाल नंबर-12 में हालांकि सभी प्रकार के सौंदर्य उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं लेकिन इनमें आयुथवेदा के उत्पाद लोगों को खासतौर पर लुभा रहे हैं।
यू तो बाजार में हर्बल सौंदर्य उत्पादों की कमी नहीं है लेकिन कुछ साल पहले आयुथवेदा ने आयुर्वेद में वर्णित फार्मूलों के आधार पर त्वचा, दांतों एवं बालों की देखरेख को लेकर उत्पादों की एक नई श्रंखला लांच की थी। इस श्रंखला में करीब सवा सौ उत्पाद अब तक जारी हो चुके हैं तथा देश में ही नहीं विदेशों में भी लोकप्रिय हो रहे हैं। कई देशों में इनकी बिक्री होने लगी है।
एमिल-आयुथवेदा के निदेशक डा. संचित शर्मा के अनुसार ये उत्पाद अनूठे, दुष्प्रभाव रहित एवं प्रभावी हैं जिसका फायदा लोगों को मिल रहा है, इसलिए वे इन्हें हाथोंहाथ ले रहे हैं। एक तरफ उत्पाद जहां आयुर्वेद पर आधारित हैं, वहीं लोगों की जरूरतों को भी इसमें ध्यान में रखा गया है। जैसे चारकोल फेसवास एक ऐसा उत्पाद है जो उत्तर भारत में छाए मौजूदा प्रदूषण के दौर में चेहरे की त्वचा को साफ करता है तथा उसमें चमक प्रदान करता है। इसके इस्तेमाल से चेहरे पर जमा तमाम प्रदूषक तत्व निकल जाते हैं। इसमें एक्टिवेटेट चारकोल, फलों के रस तथा अनेक जड़ी-बूटियों को शामिल किया गया है।
इसी प्रकार फेसवास की गोल्डरेंज भी विशेष आकर्षण का केंद्र है। स्पाकर्लिग गोल्डवास की तीन रेंज हैं जिनमें डे क्रीम, नाइट क्रीम तथा फेस वापस शामिल है। इसमें एलिमेंटल गोल्ड के अलावा केसर मिलाया गया है। इसी प्रकार पपीते से तैयार फेसवास, खडिया, मुल्तानी मिट्टी तथा जड़ी-बूटियों से निर्मित साबुन, आयुर्वेदिक टूथपेस्ट, कुनकुमादी तेल जो चंदन, केसर, मजीठा, तिल आदि से निर्मित है। उन्होंने बताया कि इन उत्पादों की खूबी यह है कि यह आयुर्वेद की औषधीय मानदंडों के आधार पर निर्मित हैं। यानी यह सौंदर्य तो बढ़ाते ही हैं तथा कई प्रकार के संक्रमणों से त्वचा का उपचार और बचाव भी करते हैं। इनमें कृत्रिम रंगों एवं खुशबू की जगह प्राकृतिक रूप से जूड़ी-बूटियां डाली गई हैं जो इस कमी को दूर करती हैं।