‘आयुर्वेद सिर्फ उपचार भर नहीं, बल्कि इसे जीवनशैली का हिस्सा बनाने की जरूरत’
नई दिल्ली। आयुर्वेद सिर्फ उपचार भर नहीं है, बल्कि इसे समग्र रूप से जीवनशैली का हिस्सा बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए। नए आयुर्वेद स्टार्टअप के जरिये इस लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है। यह कहना है विश्व आयुर्वेद परिषद के राष्ट्रीय सचिव डॉ सुरेंद्र चौधरी का।
रविवार को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में दिल्ली के श्री सत्य सांई आडिटोरियम में आयोजित आयुमंथन 2.0 कार्यक्रम के आयोजक एमिल हेल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर की निदेशक डा. नितिका कोहली ने कहा कि इस साल राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस को स्वास्थ्य और संपदा के उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। यह महज चिकित्सा नहीं, बल्कि जीवन को स्वस्थ रहने की एक समग्र शैली है।
वहीं एमिल फ़ार्मास्यूटिकल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ के के शर्मा ने भी आयुर्वेद को लेकर नए नए स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में नए स्टार्टअप के जरिए इसका विस्तार हो रहा है। बीमा नियामक प्राधिकरण ने हाल ही उपचार में आयुर्वेद को मंजूरी प्रदान की है जो किसी उपलब्धि से कम नहीं है।
इस अवसर पर आयुमंथन वेबसाइट का भी शुभारंभ किया गया जिसमें आयुर्वेद के वैज्ञानिक तथ्यों का संग्रह किया गया है। डॉ चौधरी ने कहा कि नए स्टार्टअप से न सिर्फ लोगों का तन एवं मन स्वस्थ रहेगा बल्कि पेशेवरों के लिए रोजगार भी सृजित होंगे।
इस मौके पर आयुर्वेद से जुड़े प्रतिभा कार्यक्रम, सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए और आयुर्वेद के जाने-माने विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में जीवा आयुर्वेद के संस्थापक वैध प्रताप चौहान, उज्जैन स्थित नर्मदे आयुर्वेदम पंचकर्मा के निदेशक वैध प्रज्ञान त्रिपाठी, वैध संजय भोई और वैध सनातन मिश्रा ने आयुर्वेद की कोई अहम भूमिकाओं के बारे में बताया।
कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि किस प्रकार कोरोना काल में एक कंपनी ने घर-घर पंचकर्म सेवाएं मुहैया कराने में सफलता हासिल की। मेडिकल टूरिज्म, मेडिकल फोटोग्राफी, मेडिकल इवेंट मैनेजमेंट, आयुर्वेद कास्मेटोलॉजी, पोषण जैसे क्षेत्रों में भी आयुर्वेद पेशेवरों के लिए नए अवसर सृजित हो रहे हैं।