Advertisement
23 September 2022

शुगर के साथ मोटापे को भी कम करने में असरदार बीजीआर-34, एम्स के शोधार्थियों ने करीब तीन वर्ष तक किया अध्ययन

FILE PHOTO

नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक अध्ययन में कहा है कि आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 शुगर के साथ साथ मोटापा कम करने में भी असरदार है। मधुमेह की यह आयुर्वेदिक दवा वजन में कमी लाने के साथ-साथ शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिज्म) तंत्र में भी सुधार करती है। डॉक्टरों के अनुसार मधुमेह रोगियों में मोटापा एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा गया है जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुधीर कुमार सारंगी की निगरानी में तीन वर्ष तक चले इस गहन अध्ययन के परिणाम सामने आए हैं। शोधार्थियों ने बताया कि अध्ययन के दौरान बीजीआर-34 को कई मधुमेह रोधी एलोपैथी दवाओं के साथ भी  प्रयोग किया गया था। जिसमें यह देखने की कोशिश की गई कि क्या एलोपैथी दवाओं के साथ देने से नतीजे ज्यादा प्रभावी आते हैं या नहीं? इसके परिणाम काफी संतोषजनक रहे। शोध में पाया कि यह अकेले ही काफी कारगर है जो न सिर्फ रक्त में शुगर की मात्रा को कम करती है बल्कि कुछ अन्य फायदे भी पहुंचाती है। जैसे मोटापा में कमी लाना इत्य‌ादि।

दरअसल, बीजीआर-34 दवा को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद तैयार किया है जिसकी बाजार में निगरानी एमिल फार्मास्युटिकल्स को हस्तांतरित की गई। पोलैंड के साइंस जर्नल ‘सीएंडो’ में भी एक शोध प्रकाशित हुआ था जिसके अनुसार ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (एचबीए1सी) को भी यह नियंत्रण में लाती है। इसमें दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, गुड़मार, मजीठ व मैथिका जैसे हर्ब मिलाए गए हैं, जो रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित रखने के साथ ही, एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी बढ़ाते हैं।

Advertisement

मार्च 2019 में शुरू हुए अध्ययन को लेकर शोधार्थियों ने बताया, ‘‘तीन वर्ष की अवधि में हर साल अलग अलग समूह के साथ अध्ययन किया गया था। इस दौरान हार्मोन प्रोफाइल, लिपिड प्रोफाइल, ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर भी संतुलित पाया गया और लेप्टिन में कमी आई ‌जो शरीर में वसा को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसी तरह, ट्राइग्लिसराइड्स एक बुरा कोलेस्ट्रॉल है जिसकी ज्यादा मात्रा शरीर के लिए नुकसानदायक होती है लेकिन इसमें भी कमी दर्ज की गई है।

शोधार्थियों का कहना है कि लिपिड प्रोफाइल नियंत्रित रहने से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। इसमें ट्राइग्लिसराइड्स के अलावा कुल कोलेस्ट्रॉल, हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल और लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को देखा जाता है। मधुमेह रोगियों में हार्मोन प्रोफाइल बिगड़ने से भूख नहीं लगना, नींद नहीं आना आदि जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। इन्हीं कारणों को ध्यान में रखते हुए अध्ययन किया गया जिसका परिणाम जारी किया है। इस पर शोधपत्र भी जल्द प्रकाशित होगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
OUTLOOK 23 September, 2022
Advertisement