लोकसभा में CBI और ED निदेशक का कार्यकाल 5 साल तक करने से जुड़े बिल पारित, विपक्ष ने दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए किया विरोध
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशकों का कार्यकाल दो साल से बढ़ाकर पांच साल तक किए जाने के प्रावधान वाले विधेयकों को गुरुवार को लोकसभा से मंजूरी मिल गई। इस बिल का विपक्षी दलों ने विरोध करते हुए इसे दुरुपयोग करने वाला बताया और इसे वापस लेने की मांग की।
सत्तारूढ़ बीजेपी के नेताओं ने विधेयकों पर चर्चा के दौरान कहा कि मोदी सरकार यथास्थिति बरकरार रखने नहीं आई है, बल्कि बदलाव के लिए आई है और बड़े अपराधों को रोकने और देश को मजबूत बनाने के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाने की दिशा में दोनों विधेयक महत्वपूर्ण हैं।
कार्मिक और लोक शिकायत राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि सदन में विधेयकों को पेश करते समय भी स्पष्ट किया गया था कि इस संशोधन को लेकर जितना बड़ा विवाद खड़ा किया जा रहा है, उतना बड़ा विषय नहीं है। सदस्य इसकी भावना को देखें और इस पर चर्चा करें। बीजेपी के सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा,, ‘‘आज दुनिया में जो अपराध हो रहे हैं उनके तार कई देशों से जुड़े होते है।. ऐसे में जरूरी है कि हम ऐसे कानून बनाएं जिसे दुनिया के दूसरे देश समझें और सम्मान दें। उन्होंने कहा, ‘‘ ये विधेयक हमारे विभागों को ताकत देतें है ताकि वो अपराधों से प्रभावी ढंग से लड़ सकें।’’
आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और कांग्रेस के मनीष तिवारी ने सदन में विधेयकों का विरोध करते हुए इनसे संबंधित अध्यादेशों को नामंजूर करने वाले सांविधिक संकल्प भी सदन में पेश किये। आरएसपी के प्रेमचंद्रन ने आरोप लगाया कि अपनी पसंद के अधिकारी का कार्यकाल बढ़ाने के लिए सरकार ये कदम उठा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि संसद के शीतकालीन सत्र से कुछ दिन पहले 14 नवंबर को ही अध्यादेशों को लागू करने की जरूरत क्या थी।
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि ये विधेयक मनमाने तरीके से लाये गये.। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का ईडी और सीबीआई निदेशकों के कार्यकाल ‘‘दो साल से बढ़ाकर एक-एक साल करके पांच साल करने का कदम अधिकारियों से अपने अनुरूप काम कराने का प्रयास है।’’
डीएमके के ए. राजा ने कहा कि सभी संवैधानिक मूल्यों को दरकिनार करके यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह संशोधन उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है और संसदीय व्यवस्था का मजाक है। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि विपक्षी नेताओं से जुड़े मामलों में सीबीआई का दुरुपयोग किया गया है। सरकारें आएंगी और जाएंगी, लेकिन सीबीआई को स्वायत्त बनाना चाहिए और इस पर किसी भी सरकार का नियंत्रण नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सारदा और नारद के मामले उठाए गए, लेकिन अदालत में कुछ साबित नहीं हुआ। अगर किसी ने अपराध किया है तो तय सीमा के भीतर सुनवाई पूरी क्यों नहीं हुई? सीबीआई यह करने में विफल रही है।
शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया है। मुंबई में एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक ने एक अभिनेता के पुत्र को गिरफ्तार कर पैसे की वूसली करने की कोशिश की. ऐसा कैसे चलेगा? राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि सिर्फ कार्यकाल बढ़ाने से सारी चीजें कैसे दुरुस्त हो जाएंगी। उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री (अनिल देशमुख) के खिलाफ चल रही जांच का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि राजनीतिक विरोधियों को परेशान किया जा रहा है।
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार विपक्षी नेताओं के खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग करती है और इन विधेयकों के पीछे भी कुछ ऐसी ही मंशा है। सरकार को इन प्रमुख एजेंसियों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।