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19 October 2019

जनरल रावत ने कहा- ग्रे लिस्ट में होना किसी भी देश के लिए एक झटका, सख्त कदम उठाए पाक

File Photo

आतंकी फंडिंग के मसले पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा पाकिस्‍तान को अल्टीमेटम दिए जाने पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि पाकिस्‍तान पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भारी दबाव है। पाकिस्‍तान को आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी। हम चाहेंगे कि पाकिस्‍तान शांति बहाली की दिशा में काम करे। पाकिस्‍तान का 'ग्रे लिस्ट' में होना भी उसके लिए एक झटका है।

ग्रे लिस्‍ट में होना किसी भी देश के लिए बड़ा झटका

यह पूछे जाने पर कि एफएटीएफ की चेतावनी के बाद क्‍या पाकिस्‍तान का रवैया वही रहेगा या आतंकी संगठनों के खिलाफ वाकई कार्रवाई करेगा। सेनाध्‍यक्ष ने कहा कि पाकिस्‍तान के ऊपर प्रेशर है। कार्रवाई उसी को करनी है। भारत का उससे कोई लेना देना नहीं है। एफएटीएफ के अल्टीमेटम पर पाकिस्‍तान को कार्रवाई करनी है। भारत यह चाहेगा कि पाकिस्‍तान इस अल्टीमेटम पर कार्रवाई करे और शांति बहाल करने की कोशिश करे। ग्रे लिस्‍ट में होना किसी भी देश के लिए बड़ा झटका है।

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एफएटीएफ ने पाकिस्तान को दी सिर्फ चार महीने की मोहलत

एफएटीएफ ने पैरिस में अपनी पांच दिवसीय बैठक के बाद पाकिस्तान को चार महीने की मोहलत देते हुए ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने का फैसला किया है। दुनिया भर में आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्री य संस्था ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है।  

फिलहाल, ब्लैक लिस्ट में नहीं डालने से पाकिस्तान को आर्थिक रूप से बड़ी राहत मिली। लेकिन एफएटीएफ ने चेतावी दी कि वह आतंकी फंडिंग के खिलाफ फरवरी 2020 तक कार्रवाई करें नहीं तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। एफएटीएफ ने कहा है कि यदि पाकिस्तान अपना लक्ष्य पूरा करने में विफल रहता है तो ग्लोबल फाइनैंस इंस्टिट्यूशंस (वैश्विक वित्त संस्थान) अपनी कार्रवाई करें।

27 में से केवल पांच लक्ष्यों को ही पूरा कर सका पाकिस्तान

बता दें कि पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मसद, हिज्बुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों की फंडिंग पर रोक लगाने के लिए सौंपे गए 27 में से केवल पांच लक्ष्यों को ही पूरा कर सका है।

ये हैं एफएटीएफ के नियम

एफएटीएफ के नियमों के अनुसार, ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट के बीच में एक अनिवार्य चरण डार्क ग्रे लिस्ट का होता है। ऐसा होने पर उसके लिए विदेशों से आर्थिक मदद जुटाने में काफी मुश्किल हो सकती है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान लगातार डार्क-ग्रे लिस्ट में नाम डाले जाने से बचने के लिए दुनियाभर में हाथ-पैर मार रहा है।

पहले पाक को दिया गया था 15 महीने का समय

पाकिस्तान को जून 2018 में वॉचडॉग (एफएटीएफ) द्वारा ग्रे लिस्ट में रखा गया था। इस दौरान 27 प्वॉइंट एक्शन प्लान के तहत पाकिस्तान को 15 महीने का समय दिया गया था, जिसमें उसे आतंकवाद के वित्त पोषण और कालेधन के खिलाफ कार्रवाई करनी थी। जिसके विफल होने पर उसे ईरान और उत्तर कोरिया के साथ ब्लैकलिस्ट में रखा जा सकता है।

ग्रे लिस्ट में बने रहने पर पाक को क्या हो सकती है मुश्किल

बता दें कि अगर आर्थिक कंगाली के दौर से गुजर रहा पाकिस्तान, ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक सहित कई वैश्विक संस्थाओं से लोन ले पाना भी इमरान खान सरकार के लिए मुश्किल हो जाएगा, जो पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था के लिए और भयावह परिस्थितियां पैदा करेगा।

एक अंतर-सरकारी निकाय है एफएटीएफ

एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है। अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रणाली की अखंडता को धनशोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण सहित पेश होने वाले अन्य संबंधित खतरों का मुकाबला करने के लिए 1989 में इसकी स्थापना की गई थी।

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TAGS: 'To Be On Grey List A Setback', Bipin Rawat, Pakistan, Needs, Deliver, FATF Action, Plan
OUTLOOK 19 October, 2019
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