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17 November 2018

युद्ध-इतिहास में अमर रहेंगे कैंसर से हारे ब्रिगेडियर चांदपुरी

File Photo

1971 की लोंगेवाला की ऐतिहासिक लड़ाई के नायक रहे और चंद भारतीय जवानों के साथ पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटाने वाले महावीरचक्र विजेता तथा बार्डर फिल्म के प्रेरणास्रोत ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी को आखिरकार कैंसर ने हरा दिया। पंजाब के मोहाली के एक निजी अस्पताल में शनिवार  यानी आज अंतिम सांस लेने वाले इस योद्धा ने संसार को तो अलविदा दिया, लेकिन इसकी वीरता की गाथाएं अमर रहेंगी।

परिजनों के मुताबिक, 78 साल की उम्र जीये कैंसर ग्रस्त चांदपुर अपने पीछे पत्नी और तीन बेटों का परिवार छोड़ गए हैं। लोंगेवाला की लड़ाई (1971) 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान पश्चिमी सेक्टर में हुई पहली बड़ी लड़ाइयों में एक थी। यह राजस्थान के थार मरुस्थल में लोंगेवाल की भारतीय सीमा चौकी पर हमलावर पाकिस्तानी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच लड़ी गयी थी।

भारतीय सेना की 23 वीं बटालियन में मेजर कुलदीप सिंह की कमान वाली पंजाब रेजीमेंट के पास दो विकल्प थे - या तो वह और जवानों के आने तक पाकिस्तानी दुश्मनों को रोकने की कोशिश करे या भाग जाए। इस रेजीमेंट ने पहला विकल्प चुना और चांदपुरी ने अपने मजबूत बचाव की स्थिति का अधिक इस्तेमाल किया तथा दुश्मन की गलतियों का फायदा उठाया। रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिगेडियर चांदपुरी के नेतृत्व वाली टुकड़ी ने पाक के 12 टैंक तबाह कर दिए और 8 किलोमीटर दूर तक पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया। चांदपुरी पाकिस्तान के खिलाफ 1965 के युद्ध में भी शामिल रहे।

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जेपी दत्ता की फिल्म बॉर्डर लोंगेवाला की लड़ाई पर आधारित थी। इसमें सनी देओल ने  ब्रिगेडियर चांदपुरी का रोल निभाया था। तब वे मेजर थे और सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर के पद पर हुए थे।

 पंजाब में है चांदपुरी का पैतृक गांव 

कुलदीप सिंह का जन्म 22 नवंबर 1940 को अविभाजित भारत के पंजाब क्षेत्र में हुआ था। उसके बाद परिवार पैतृक गांव चांदपुर रुड़की आ गया था, जो पंजाब के बलचौर में है। चांदपुरी माता-पिता की इकलौती संतान थे। उन्होंने 1962 में होशियारपुर कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इस दौरान एनसीसी के सक्रिय सदस्य भी रहे।

1962 में हुए थे सेना में भर्ती 
कुलदीप सिंह 1962 में भारतीय सेना में शामिल हुए। उन्होंने चेन्‍नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से कमीशन प्राप्त किया और पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन का हिस्सा बने। उन्होंने 1965 और 1971 के युद्ध में भाग लिया। जंग में उनकी वीरता को काफी सराहना मिली। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र के आपातकालीन बल में सालभर तक गाजा में सेवाएं दीं। दो बार मध्‍यप्रदेश के महू इन्फैंट्री स्कूल में इन्स्ट्रक्टर भी रहे।

1963 में उनको ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी से पंजाब रेजिमेंट की 23वीं बटालियन में कमिशन किया गया था। उन्होंने 1965 के युद्ध के बाद वह एक साल तक गाजा (मिस्र) में संयुक्त राष्ट्र के मिशन पर रहे।

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TAGS: कुलदीप सिंह, लोंगेवाला, ऐतिहासिक लड़ाई, 1971, कैंसर, पाक सै‌निक
OUTLOOK 17 November, 2018
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