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19 March 2018

CBI ने आपत्ति के बावजूद लालू पर की थी FIR, लेकिन अफसर का नाम हटाया

File Photo

जमीन के बदले रेलवे के दो होटलों को पटना में एक निजी कंपनी के हवाले करने के मामले में एक नया खुलासा हुआ है। असल में, सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा ने पिछले साल राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की कवायद शुरू की थी जबकि लीगल विंग ने इस पर आपत्ति जताई थी।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तब अभियोजन निदेशालय ने इसमें शामिल आरोपियों की जो लिस्ट तैयार की थी, उसमें जिम्मेदार IRCTC के दो में से एक अफसर का नाम ही नहीं शामिल किया था रेल मंत्री रहते लालू प्रसाद यादव पर 2006 में इन होटलों का ठेका प्राइवेट फर्म को देने का मामला सामने आया था।

सीबीआई के अभियोजन निदेशालय ने IRCTC निदेशक (पर्यटन) राकेश सक्सेना का नाम ही आरोपियों की सूची में नहीं डाला। इसके पीछे कोई वजह भी नहीं बताई गई। बाद में जब खुलासा हुआ तो सीबीआई अफसरों का ध्यान इस चूक की तरफ गया। लिस्ट के आधार पर सभी आरोपियों के घर और दफ्तर पर छापेमारी हुई। हालांकि जिम्मेदार IRCTC अधिकारी राकेश सक्सेना के नाम के बगैर ही सात जुलाई 2017 को एफआईआर दर्ज हुआ। सीबीआई ने सभी को साजिश रचने, घोखाधड़ी और आपराधिक आचरण के आरोप में केस दर्ज किया। इसमें लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, डिलाइट मार्केटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड की सरला गुप्ता, सुजाता होटल्स के डायरेक्टर्स विजय कोच्चर और विनय कोच्चर आदि शामिल रहे।

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जब सीबीआई ने सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के निविदा की जांच की तो पता चला कि यह शर्तों पर खरा नहीं उतरता। जांच में पाया गया कि इसके पास पिछले चार साल से टू स्टार रेटिंग नहीं रही। सीबीआई जांच में पता चला कि विजय और विनय कोच्चर के मालिकाना वाले सुजाता होटल्स को रेलवे के दोनों ठेके देने के बदले में लालू और उनके परिवार को बिहार के पाश इलाके में भूखंड मिला। इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता और IRCTC के तत्कालीन प्रबंध निदेशक पीके गोयल भी आरोपी बनाए गए।

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TAGS: CBI, Lalu Prasad, railway minister, fir
OUTLOOK 19 March, 2018
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