CBI विवाद पर बोले अरुण जेटली, CVC की निगरानी में SIT करेगी अफसरों पर लगे आरोपों की जांच
देश की बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में घूसकांड को लेकर मची अंदरूनी कलह पर विवाद लगातार बढ़ने के बीच बुधवार को पहली बार सरकार की तरफ से बयान आया है। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को बेकार बताते हुए कहा कि एसआईटी इस मामले की जांच करेगी और सच क्या है सामने लाएगी। जेटली ने कहा कि ये केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और न ही सरकार इसकी जांच करेगी।
‘सीबीआई एक प्रीमियर जांच एजेंसी, जिसकी साख को बचाना आवश्यक’
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सीबीआई एक प्रीमियर जांच एजेंसी है, जिसकी साख को बचाना आवश्यक है। संस्थान की अखंडता बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि एजेंसी के अंदर विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है। सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (सीवीसी) के पास सीबीआई से संबंधित भ्रष्टाचार की जांच का अधिकार है।
‘मामले की निष्पक्ष जांच के लिए दोनों को जांच से अलग करना जरूरी था’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सीबीआई की एक संस्थान के तौर पर साख बचाए रखने के लिए दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजा गया। मामले की निष्पक्ष जांच के लिए दोनों को जांच से अलग करना जरूरी था। आगे जेटली ने कहा कि सीबीआई में विवाद एक असाधारण स्थिति है, इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।
कानून के मुताबिक जबतक जांच पूरी न हो इसलिए अधिकारियों को बाहर कर दिया गया है। यदि जांच में उनकी भूमिका पर सवाल नहीं उठता तो वह वापस अपने कार्यभार को लेंगे। लेकिन निष्पक्ष जांच के लिए जरूरी था कि जांच की अवधि तक अधिकारियों को सीबीआई से बाहर रखा जाए।
जेटली ने दिया विपक्ष को जवाब
वहीं, सीबीआई विवाद पर अरुण जेटली ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि दोनों अफसरों को छुट्टी पर भेजने का विरोध कर रहे विपक्ष से मैं पूछना चाहता हूं कि क्या दोनों आरोपी अफसरों को ही जांच में शामिल करना चाहिए था?
दोनों अधिकारी इन आरोपों की जांच नहीं कर सकते: सीवीसी
मंगलवार को सीवीसी ने बताया कि दोनों अधिकारी इन आरोपों की जांच नहीं कर सकते और न ही इन अधिकारियों के नेतृत्व में इस जांच को करना संभव है। लिहाजा, जबतक यह जांच नहीं होती इन अधिकारियों को इनके काम से मुक्त कर दिया गया है। इस जांच को अब स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) को दी गई है और जबतक यह एसआईटी जांच पूरी नहीं कर लेती इन अधिकारियों को सीबीआई से अलग कर दिया गया है।
सरकार की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है: जेटली
जेटली ने कहा कि सीवीसी सुपरवाइजरी अथॉरिटी है और वह एसआईटी का गठन करेगी। सरकार की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है और न ही सरकार इसमें किसी भूमिका को अदा करने की दिशा में देख रही है। उन्होंने बताया कि मंगलवार को सीवीसी की मीटिंग हुई और बुधवार को सरकार ने यह फैसला लिया है। लिहाजा, सरकार की भूमिका पर सवाल उठाने का कोई आधार नहीं है।
आलोक वर्मा ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, 26 अक्टूबर को सुनवाई संभव
गौरतलब है कि सीबीआई में चल रहे विवाद के दौरान रातोरात जिस तरह शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया उससे हर कोई हैरान है। इस फैसले के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इस मामले में आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिस पर सुप्रीम कोर्ट 26 अक्टूबर को सुनवाई कर सकती है।
छुट्टी पर भेजे गए आलोक वर्मा, राकेश अस्थाना
इस विवाद के बीच सरकार की तरफ से सीबीआई के दोनों शीर्ष अधिकारी सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया है। इस फैसले को सरकार का इस मुद्दे पर बड़ा एक्शन माना जा रहा है।
नागेश्वर राव को मिली जिम्मेदारी
इस परिस्थिति में ज्वाइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। नागेश्वर राव ने बुधवार सुबह ही अपना कार्यभार संभाला। नागेश्वर ने पदभार संभालते ही कड़ा एक्शन लेना शुरू कर दिया है।
जानें क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि एजेंसी ने अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से घूस लेने के आरोप में रविवार को एफआईआर दर्ज की थी। कुरैशी धनशोधन और भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहा है।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत दी गई। इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया।